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तिब्बती धर्मगुरु श्री दलाई लामा का " आनंदित रहने की कला" पर व्याख्यान


सभी धर्म मानव को करूणा, प्रेम तथा आपसी सदभाव व भाईचारे के साथ रहने की शिक्षा देते हैं। अपने जीवन में आनन्द लाने के लिये जरूरी है कि हम दूसरों की भलाई के बारे में सोचे और सभी के प्रति करूणा और प्रेम का भाव रखें। यह बात बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने आज विधानसभा के मानसरोवर सभागार में संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित 'आनन्दित रहने की कला' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में अपने व्याख्यान में कही। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरण शर्मा, वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया, सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री विश्वास सारंग सहित विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधि, विधायक और गणमान्य नागरिक मौजूद थे। कार्यक्रम में दलाई लामा ने राज्य आनंद संस्थान द्वारा तैयार किय गये 'आनन्द केलेण्डर' का लोकार्पण भी किया। यह केलेण्डर मध्यप्रदेश राज्य आनंद संस्थान की वेबसाइट www.anandsansthanmp.in पर भी उपलब्ध है।

धर्मगुरु दलाई लामा ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नागरिकों के जीवन में खुशहाली लाने के उददेश्य से आनन्द विभाग गठित किये जाने की सराहना की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पर्यावरण और नदी संरक्षण के लिये नर्मदा सेवा यात्रा का आयोजन अत्यन्त सराहनीय प्रयास है। उन्होंने स्कूलों में प्राथमिक स्तर पर शिक्षा के पाठ्यक्रम में बच्चों को प्रेम, करूणा तथा सर्वधर्म समभाव जैसे विषयों को शामिल किये जाने की आवश्यकता बताई।

धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि आधुनिक शिक्षा पद्धति भौतिक विकास की शिक्षा ही देती है जबकि मानव के आंतरिक सुख की प्राप्ति के लिये आध्यात्म से संबंधित शिक्षा दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बच्चों की पहली शिक्षक उनकी माँ होती है तथा माँ ही बच्चों को प्रेम, करूणा और स्नेह का पहला पाठ सिखाती है। उन्होंने कहा कि खुशहाली और आनन्द का अमीरी या गरीबी से कोई संबंध नहीं है। खुशहाली हमारे सोच पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि कोई भी एक धर्म परिपूर्ण व सर्वश्रेष्ठ नहीं हो सकता। सभी धर्मों की अपनी-अपनी विशेषताएँ हैं। जिस तरह हर बीमारी की अलग-अलग दवा होती है उसी तरह अलग-अलग प्रकृति के लोगों के लिये अलग-अलग धर्म भी स्थापित किये गये हैं। धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि सभी धर्मों को जाति प्रथा को हतोत्साहित करना चाहिये। समाज में कोई छोटा या बड़ा नहीं होना चाहिये, सभी को बराबर सम्मान मिलना चाहिये। धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि क्रोध व ईर्ष्या से सभी को बचना चाहिये। उन्होंने अपनी माँ की याद करते हुए कहा कि मेरी माँ बहुत दयालु थी तथा माँ ने ही दया व प्रेम के संस्कार मुझे दिये हैं। दलाई लामा ने कहा कि सभी को हर उम्र में अध्ययन जरूर करना चाहिये। उन्होंने बताया कि वे 82 वर्ष की आयु होने के बावजूद आज भी नियमित रूप से पुस्तकों का अध्ययन करते हैं।

स्वागत उदबोधन में वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया ने बताया कि धर्मगुरु दलाई लामा ने आज सुबह देवास जिले में नर्मदा सेवा यात्रा में शामिल होकर पर्यावरण और नदी संरक्षण की इस पहल की सराहना की है।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरण शर्मा ने अपने संबोधन में रामचरित मानस की चौपाइयों के उद्धरण से बताया कि संत के मिलन से बड़ा कोई सुख और आनन्द नहीं है। श्री शर्मा ने राज्य सरकार द्वारा गठित आनंद विभाग और उसकी गतिविधियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में श्री दलाई लामा के विधानसभा के सभागार में आगमन पर उन्हें खुशी है। श्री शर्मा ने कहा कि संतों के सान्निध्य से आनंद विभाग अपने उददेश्य को सार्थक कर रहा है।

अंत में आभार प्रदर्शन सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री श्री विश्वास सारंग ने किया। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव आनन्द विभाग श्री इकबाल सिह बेंस, प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव तथा आयुक्त संस्कृति श्री राजेश मिश्रा सहित विभिन्न अधिकारी भी मौजूद थे।
बृजेन्द्र शर्मा

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