यहां जलते अंगारों पर यूं नंगे पैर चलती हैं महिलाएं
होली के अगले दिन उज्जैन के घोंसला में सैकड़ों महिलाएं व पुरुष जलते अंगारों पर नंगे पैर चले। इनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल थे। इसे आस्था कहिए या अंधविश्वास लेकिन जलते अंगारों पर चलने के बाद भी किसी के पैर नहीं जले। घोंसला का मनकामनेश्वर महादेव मंदिर क्षेत्रीय लोगों की आस्था का केंद्र है। लोगों को भरोसा है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है वो जरूर पूरी होती है।
21 फीट लंबे और दो फीट गहरे गड्ढे में भरे थे अंगारे
- होली के अगले दिन धुलेंडी पर यहां चूल का आयोजन किया जाता है। इसके लिए मंदिर के बाहर 21 फीट लंबा 2 फीट गहरा और 2.5 फीट चौडा गड्ढा खोदा जाता है।
- इसमें करीब 15 क्विंटल बबूल की लकड़ी जलाकर अंगारे तैयार किए जाते हैं। मंदिर में आरती के बाद पुजारी लकड़ी जलाते हैं। इसे चूल कहते हैं।
- सबसे पहले पुजारी बाबूलाल उपाध्याय दहकते अंगारों पर चलते हैं। उनके बाद मन्नत मांगने वाले लोग एक, तीन या पांच बार चूल पर चलते हैं।
- चूल चलने के लिए दहकते हुए अंगारों पर नंगे पैर चलना होता है। हैरानी की बात ये है कि इसमें महिलाएं और बच्चे भी पीछे नहीं रहते। वो भी बढ़-चढ़कर इसमें भाग लेते हैं।
दूर-दूर से आते हैं लोग
- पुजारी बाबूलाल उपाध्याय बताते हैं कि ये मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। यहां चूल की प्रथा उनके पूर्वजों के समय से चली आ रही है।
- दूर दूर से लोग यहां मन्नत मांगने आते हैं। लोगों को विश्वास है कि सच्चे दिल से मांगी मन्नत जरूर पूरी होती है।
- मन्नत मांगते समय लोग मंदिर में संकल्प करते हैं कि मन्नत पूरी होने पर वो एक तीन या इतनी बार चूल पर चलेंगे।
- मन्नत पूरी होने पर वो उतनी बार अंगारों पर नंगे पैर चलता है। कहते हैं कि इस पर से गुजरने वालों को यह अंगारे फूल के समान लगते हैं।
कैसे बनाते हैं चूल
- गांव के मंदिर के सामने चूल बनाई जाती है।
- इसके लिए 3 से लेकर 18 फीट लंबा और 2 से लेकर 4 फीट गहरा गड्ढा खोदा जाता है। इसे चूल
कहते हैं।
- इसमें लकड़ियां व अन्य सामग्री डालकर अंगारे तैयार किए जाते हैं।
- अंगारे तैयार होने के बाद इसमें घी डाला जाता है। घी डालने से अंगारे दहकने लगते हैं, उनकी आंच इतनी बढ़ जाती है कि दूर खड़े लोगों को भी तपन महसूस होने लगती है।
- अंगारे तैयार होने के बाद पूजा का दौर शुरू होता है। पूजा पूरी होते ही स्थानीय लोग ढोल बजाने लगते हैं। फिर पुजारी मंत्र पढ़ता है और उन सारे लोगों को बुलाता है जिन्होंने चूल चलने की मन्नत मांगी होती है।
- इनको तिलक लगाया जाता है। तिलक लगाने के बाद मन्नतधारी अपने आराध्य को प्रणाम करते हैं और फिर अपनी आस्था के सहारे जलते हुए अंगारों पर चलने लगते हैं।