बाबा जयगुरूदेव आश्रम में चार जोड़ों का हुआ दहेज रहित कैशलेस विवाह
उज्जैन। भारत धर्म परायण देश है, इस धरती पर बड़े-बड़े पीर पैगम्बर और महापुरूषों ने अवतार लिया है। इतिहास गवाह है जब-जब इस धरती पर लोगों को तकलीफ और परेशानियां आई, तब-तब इस धरती पर धर्म की स्थापना के लिए महापुरूषों का प्रादुर्भाव हुआ। जिन्होंने धर्म की स्थापना के लिए लोगों को समझाया। नहीं माने तो अधर्मियों का नाश कर धरा पर धर्म की स्थापना की, लेकिन इस मृत्युलोक में जितने भी लोग आए उन्हें इसे छोड़कर जाना पड़ेगा। इसलिए अगर आपने सब कुछ इस शरीर के लिए ही किया और अपनी जीवात्मा के लिए कुछ नहीं किया तो आखिरी समय में बहुत पीड़ा होगी और मरने के बाद यमराज के दरबार में जीवन में किये गये कर्मों की सजा मिलती है, वहां कोई क्षमा नहीं होती। नर्क में डाल दिया जाता है और वहां से निकलकर सांप, गोजर, कुत्ता, बिल्ली के शरीर में जीवात्मा को बंद कर दिया जाता है।
उक्त संदेश बाबा उमाकांत महाराज ने बाबा जयगुरूदेव आश्रम पर चल रहे तीन दिवसीय आध्यात्मिक होली पर्व के दूसरे दिन रविवार को सत्संग में कही। महाराजजी द्वारा आश्रम में चार जोड़ों की दहेज रहित कैशलेस आदर्श विवाह भी कराया। अपने सत्संग में महाराजजी ने कहा कि ये 2017 परिवर्तन का वर्ष है। ऐसा परिवर्तन होगा जो लोगों के दिलों दिमाग में नहीं है। ये सब आपको देखने को मिलेगा इसलिए आप सत्संगी होशियार रहना। आपने कहा मेहनत, ईमानदारी की ही कमाई करना चाहिये। मार-काट एवं दिल दुखाकर की गई कमाई उसी तरह से चली जाती है जिस तरह से आती है। सत्संग एवं नामदान के पश्चात भक्तों के विशाल सैलाब ने पूर्ण अनुशासन में कतारबध्द रूप में महाराजजी के दर्शन किये। दिन में चूभने वाली गर्मी हो या रात की शीतलहर बाबा के भक्त खुले मैदान में पूर्ण उत्साह के साथ बाबा के दर्शन, सत्संग एवं सेवा में लगे हुए हैं। बिना किसी भेदभाव के सभी धर्म, जाति, मजहब, अमीर, गरीब एक साथ भंडारे में भोजन करते हैं, जो महाराजजी के होली पर्व को और भी आकर्षक बना रहा है। महाराजजी दिन में कई बार भक्तों के दर्शन की मनोकामना पूरी करते हुए उनके मिलने के लिए मेदान में आते रहे।