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सफाई कर्मचारी को मूलभूत सुविधाएँ देना जरूरी



डॉ. चंदर सोनाने
 
                   जिस प्रकार किसी भी देश या राज्य के विकास के लिए जरूरी हैं स्वास्थ्य और शिक्षा, उसी प्रकार स्थानीय निकाय की पहली जिम्मेदारी है अपने नागरिकों को मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराना। इन मूलभूत सुविधाओं मे पीने का पानी, प्रकाश और साफ सफाई मुहैया कराना शामिल हैं। साफ सफाई सीधे सीधे व्यक्ति के स्वास्थ्य से जुडा मुद्दा हैं। हाल ही में स्वच्छता अभियान के अंतर्गत स्वच्छता की बहुत बात हो रही हैं। जब बात स्वच्छता की आती हैं तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इसमें महत्वपूर्ण ईकाई सफाई कर्मचारी हैं। इसलिए साफ-सफाई से जुडे सफाई कर्मचारी को मूलभूत सुविधाएँ देना भी जरूरी है।
                  प्रत्येक स्थानीय निकाय में स्वच्छता अर्थात प्रतिदिन साफ सफाई के लिए तैनात किए गए सफाई कर्मचारी रोजाना सुबह से ही अपने काम पर लग जाते हैं। यह सफाई कर्मचारी जब दूसरे के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए हर गली, मोहल्ले में कचरा साफ करते हैं तो स्थानीय निकाय की जिम्मेदारी हैं कि वे इनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखे। वर्तमान में सफाई कर्मचारी को साफ सफाई के लिए जो मूलभतू सुविधाएं देने की जरूरत हैं , वह भी उन्हें नहीं दी जा रही है।
                   नगर के नागरिकों के स्वास्थ्य का ध्यान रखने वाले सफाईकर्मी के स्वास्थ्य का ध्यान रखना स्थानीय निकाय की जिम्मेदारी है। इसके लिए जरूरी हैं कि सफाई कर्मचारी को सफाई करने के लिए हाथ के दस्ताने दिए जाएं। गंदगी से प्रभावित नहीं हो इसके लिए उन्हें मास्क भी देने की जरूरत हैं। वर्तमान में ये सफाई कर्मचारी झाडू लेकर झुक कर कार्य करते हैं। कालांतर में इन्हें कमर के दर्द की शिकायत रहने की पूरी संभावना रहती हैं। उसलिए इन्हें खडे-खडे झाडू लगाने के लिए लंबी झाडू देना चाहिए, ताकि वे बिना झुके झाडू लगा सकें व बिना थके अपना काम कर सके।
                  सामान्यतः यह देखा और अनुभव किया गया हैं कि जब कोई व्यक्ति उस जगह से गुजरता हैं , जहां सफाई कर्मचारी गली मोहल्ले में झाडू लगा रहा हों , तब वहां से गुजरने वाला व्यक्ति अपने मुख पर कपडा अथवा हाथ रखकर वहां से निकलते हुए सांस रोकने का प्रयास करता हैं ताकि धूल उसकी सांसो से अंदर नहीं जा पाये। जब कुछ ही क्षणों मे धूल से बचने का प्रयास व्यक्ति करता हैं तो कल्पना करिए कि उस सफाई कर्मचारी की क्या हालात होती होगी जो प्रतिदिन  करीब आठ घंटे तक उसी धूल और कचरे के बीच रहता हैं। इसलिए स्थानीय निकाय द्वारा सामाजिक जिम्मेदारी और मानवीयता के आधार पर प्रत्येक सफाई कर्मचारी को मास्क दिया जाना चाहिए ताकि वह भी स्वस्थ रह सकें।    
                  स्वच्छता अभियान के अंतर्गत यह समझाया जाता हैं और लोगों को जागरूक किया जाता हैं कि कुछ भी खाने के पहले हाथ साबुन से धोना चाहिए। अर्थात हाथ साफ होना चाहिए। यहां थोडे सोचने की आवश्यकता हैं कि एक सफाई कर्मचारी प्रतिदिन करीब आठ घंटे गली मोहल्ले का कचरा साफ करने में लगा रहता हैं। तब उसके हाथ में कितने किटाणु लगते होंगे, जो उसके स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक होते हैं । इसलिए स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से प्रत्येक कर्मचारी को अनिवार्य रूप से दस्ताने देने ही चाहिए।   
                   सामान्य रूप से कोई भी स्वस्थ्य व्यक्ति किसी कार्य के लिए या किसी वस्तु को उठाने के लिए एक बार ही नीचे झुकता है तो उसे चिंता रहती है कि उसकी कमर में कोई मोच नहीं आ जाए। या कमर दर्द से बची रहे। ऐसी स्थिति में यह सहज ही कल्पना की जा सकती है कि एक सफाई कर्मचारी प्रतिदिन उसे दी गई छोटी झाडू से झुककर कचरा साफ करेगा तो उसकी कमर और उसके स्वास्थ्य का क्या हाल होगा ? कुछ स्थानीय निकायों ने अपने सफाई कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर ध्यान दिया । इसीलिए लकडी लगी लंबी झाडू उन्हें दी गई ताकि वे बिना झुके साफ सफाई का झाडू लगाने का अपना कार्य कर सकें। 
                    स्थानीय निकाय भले ही वह नगर निगम हो या नगर पालिका या नगर पंचायत, सबके जिम्मेदार लोग अपने नगर के लोगों को स्वस्थ रखने के लिए नगर में स्वच्छता रखना जरूरी समझते हैं तो इसके लिए उन्हें यह भी चाहिए कि इस कार्य के लिए तैनात प्रत्येक सफाई कर्मचारियों को भी स्वास्थ्य ,मानवीयता और सामाजिक जिम्मेदारी के नाते उन्हें मास्क , दस्ताने और लंबी झाडू दें , ताकि वह भी स्वस्थ्य होकर अपना कार्य और अधिक आसानी से कर सकें। 
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