कश्मीर : अब फिर लौट रही हैं रौनक
डॉ. चंदर सोनाने
कश्मीर में आंतकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद करीब पांच महिने तक अशांत रहे कश्मीर से पर्यटकों ने मुह मोड रखा था। अब धीरे-धीरे कश्मीर में हालात सुधर रहे हैं। कश्मीर के वाशिंदे भी अब आंतकवादियों और अलगाववादियों के कहने में नहीं आ रहे हैं। इस कारण स्थिति वहां सामान्य हो रही हैं। अब देश विदेश से पर्यटक कष्मीर पहुंच रहे हैं।
कश्मीर की हसीन वादियों को देखे जाने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी पर्यटक प्रतिवर्ष कश्मीर आते रहे हैं। कश्मीर के बारे में एक मशहूर बात कही जाती हैं कि स्वर्ग यदि कहीं हैं, तो यहीं हैं, यहीं हैं। कश्मीर की आय का प्रमुख स्त्रोत भी पर्यटन ही हैं । इसी से वहां की पहचान भी हैं। पिछले पांच माह से अशांत रहे कश्मीर में पर्यटन और उससे जुडे व्यापारियों को करीब तीन हजार करोड़ का नुकसान हुआ हैं। इससे पर्यटन और उससे जुडे हरेक की कमर सी टुट गई हैं । वे हताश और निराश भी हो गए थे।
किंतु अब कश्मीर में रौनक लौट रही हैं। गुलबर्ग में भी प्रतिदिन पर्यटक बर्फबारी का मजा लेने पहुंच रहे हैं। श्रीनगर के मुगल गार्डन और डल झील के किनारे पर्यटकों की संख्या बढ़ने लगी हैं। रात दिन पर्यटकों के आने से व्यापारियों के चेहरे भी खिलने लगे हैं। कुछ लोग इसे प्रधानमंत्री के नोटबंदी के मसले से भी जोडकर देख रहे हैं। पुराने पांच सौ रूपये और हजार रूपये के नोट चलन से बाहर हो जाने के बाद आंतकवादियों और अलगाववादियों का आर्थिक स्त्रोत सूख सा गया हैं। यह सही भी था । अलगाववादी युवाओं को प्रतिदिन के हिसाब से नकद राशि देकर पुलिस और सेना के जवानों पर हमले और पत्थरबाजी करवा रहे थे। अब जब बड़े नोट बंद हो गए हैं तो आतंकवादियों और अलगाववादियों के पास धनराशि नहीं होने के कारण वे भी फिलहाल शांत हो गए हैं।
आशा करते हैं कि कश्मीर में पर्यटकों की यह रौनक बनीं रहे। देश का स्वर्ग का यह टुकड़ा कश्मीर फिर से अपना महत्व और विशेषज्ञता हासिल करें। पर्यटकों का तांता बना रहें। पर्यटक और उससे जुडे व्यापारियों के चेहरे खिले रहे। जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री सुश्री महबूबा मुफ्ती को भी चाहिए कि जम्मू कश्मीर की यह शांत फीजा बनी रहे। इसके लिए जो भी हर संभव प्रयास करना हों वह जरूर करें।