भगवान के लिए नोटबंदी के नियमों में अब कोई बदलाव नहीं करें ! प्रधानमंत्री जी अपने कहे पर कायम रहें !
संदीप कुलश्रेष्ठ
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर की मध्यरात्रि को नोटबंदी का ऐलान किया था । इस कारण 500 रूपये और एक हजार रूपये के पुराने नोट बंद कर दिये गए। उस समय प्रधानमंत्री ने कहा था कि अब जिनके पास भी 500 रूपये और 1000 के पुराने नोट हैं, उनको बैंक में जमा करने के लिए 50 दिन का समय मिलेगा। वें 30 दिसंबर 2016 तक पुराने नोट जमा कर सकेंगे। इसलिए कोई भी जल्दीबाजी नहीं करें । किंतु , ऐसा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री अपनी बात पर कायम नहीं रहे। एक के बाद एक अनेक बार नियमों में परिवर्तन करते रहे। पुराने नियम बदलते रहे और नए नियम लागू करते रहे। इससे लोगों में संशय बना, बढ़ा और बढ़ता गया।
हाल ही में 19 दिसंबर को रिजर्व बैंक ने एक नया आदेश जारी किया । इस आदेश के अनुसार अब कोई भी व्यक्ति 5000 रूपये से अधिक की राशि 30 दिसंबर तक केवल एक बार ही जमा कर पाएंगे। साथ ही उससे यह भी पुछा जाएगा कि उन्होंने अभी तक अपने पुराने रूपये बैंक में जमा क्यों नहीं किए ? इस आदेश का आम जनता में बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। प्रधानमंत्री अपनी ही बात पर कायम नहीं रहें। उन्होंने 8 नवंबर को 50 दिन देते हुए यह वादा किया था कि 30 दिसंबर तक नोट जमा करने की सुविधा मिलगी। इसलिए कोई जल्दीबाजी नहीं करें। दो दिन में सोशल मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, प्रिंट मीडिया में घोर आलोचना होने के बाद सरकार को अपने कदम पीछे करने के लिए बाध्य होना पड़ा। 21 दिसंबर को रिजर्व बैंक ने अपना 19 दिसंबर का आदेश वापस ले लिया।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जब 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया था तो अपवाद को छोडकर सबने इसका सवागत किया था। प्रधामंत्री ने भ्रष्टाचार पर प्रभावी रोक लगाने , आतंकवाद के खात्मा करने और नकली नोट की बाढ़ को रोकने के लिए नोटबंदी को प्रभावी कदम बताया था। जनता ने उनका विश्वास किया और सराहना की। सबको थोड़ी बहुत परेषानियाँ हुई । किंतु सबने सहन किया। किंतु नोटबंदी के आदेश के बाद से करीब 60 बार से अधिक बार नियमों मे बदलाव सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा हैं। बार बार नियमों में हो रहे परिवर्तन से आम जन सहमा हुआ हैं। कब कौन सा नया नियम सरकार लागू कर दें , इस पर किसी का भरोसा नहीं रहा। यह अविश्वास प्रधानमंत्री के लिए खतरे की घंटी हैं। लोगों का प्रधानमंत्री से विश्वास उठने लगा हैं। रिजर्व बैंक पर तो उनका कोई विश्वास ही नहीं रहा। यह स्थिति अत्यंत खतरनाक हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व एवं छबि के कारण राजनैतिक पार्टी सहज ही उन पर आरोप नहीं लगा सकती थी। किंतु , अब विभिन्न राजैनतिक दल भी उन पर आरोप प्रत्यारोपण करने लगे हैं। प्रधानमंत्री को चाहिए कि भगवान के लिए नोटंबंदी के नियमों में अब कोई बदलाव नहीं करें। प्रधानमंत्री अपने कहे पर कायम रहें और जो भी नियम नोटबंदी के संबंध में बनाए हैं , उनमें बार बार फेरबदल नहीं करे। कम से कम 30 दिसंबर 2016 तक तो वे अपने कहे पर कायम रहें। अन्यथा प्रधानमंत्री को इसकी बहुत बड़ी कीमत भुगतना पडेगी, जिसकी क्षति की पूर्ति होना संभव नहीं लगता।