युवाओं को अध्यात्मिक चेतना की जरूरत
अध्यात्म द्वारा भारत देश के भविष्य को उज्जवल और उन्नति के शिखरों की ओर ले जाया जा सकता है
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा दिव्य धाम आश्रम, दिल्ली में मासिक भंडारे का कार्यक्रम आयोजित किया गया! जिसमे सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य एवं शिष्याओं ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि युवासमाज कल्याण हेतुआगे आए!इतिहास में ऐसे असंख्य भक्त हुए है जिन्होंने समाज कल्याण के लिए अपना जीवन आत्म कल्याण के लिए अर्पितकिया! उनमें से एक है स्वामी विवेकानंद जी जिनका जीवन आज के समाज के लिए एक उदाहरण है, जिनके महान क्रांतिकारी विचार आज के युवा वर्ग का मागदर्शन करने में सहायक सिद्ध होते हैं।
यह बात सच है कि जिनके अंदर अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने का संकल्प तथा अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ता होती है उन्हें समुंदर भी राह देने में अपना फक्र समझता हैं। युवाओं के लिए उन्होंने बहुत ही प्रेरणादायक शिक्षाएँ दी गई जिन्हें अमल करना आज के नौजवान वर्ग के लिए बहुत ही आवश्यकहै क्योंकि कहते है कि युवा का मन और भावनाएँ गीली मिट्टी की तरह होती हैं। उन्हें सही दिशा दिखाना और सही गलत की जानकारी देना अति आवश्यक है। आज का युवा वर्ग अपने पथ से भटक चुका है। उसके अंदर भी बाल गंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस और विवेकानंद बनने की क्षमता है। जरुरत बस सही दिशा दिखाने की है। पर उन्हें यह दिशा दिखाए कौन? भागवत गीता में आता है कि युवकों को इस ज्ञान का उपदेश तत्वदर्शी महापुरूष ही दे सकते हैं। क्योंकि केवलमात्र संत महापुरूष ही जीवन की गहराई को जानते हैं। संतों महापुरूषों द्वारा दिए गए ब्रह्मज्ञान को पाकर अध्यात्म के मार्ग पर चलने से मानव के विचारों में परिवर्तन आता है। उसे सही गलत की समझ आती है। उसकी विवेक शक्ति बढ़ती है। अध्यात्म व्यक्तित्व को ढालने की टकसाल और चरित्र-निर्माण की कार्यशाला है। आज के युवाओं को अध्यात्मिक चेतना की जरूरत है क्योंकि अध्यात्म ही इंसान के अंदर सार्थक और संपूर्ण जीवन दृष्टि का विकास करता है। ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर अध्यात्म मार्ग पर आगे बढ़ेताकि चरित्रमें एक नवीन क्रांति आ सके।स्वामी विवेकानंद जी ने युवकों के लिए अध्यात्मिक जागृति हेतु विचार दिया- “Be and Make”अर्थात बनो और बनाओ।और यही सुधरे नौजवान एक दिन सुधारक बन सकते हैं और भारत देश के भविष्य को उज्जवल और उन्नति के शिखरों की ओर ले जा सकते हैं।