मंदिर श्रद्धा से कम, उम्मीद लेकर अधिक जाते हैं
संतश्री ने कल्पसूत्र के वाचन में बताए व्यावहारिक जीवन के अनेक सूत्र
उज्जैन। धर्म में डूबकर आराधना करें। श्रद्धा से मंदिर जाने वाले लोगों की संख्या कम है। अधिकांश लोग उम्मीद लेकर मंदिर जाते है। जीवन में हमारे साथ जो व्यवहार होता है, वह हमारे कर्म के आधार पर होता है।
यह बात श्री ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी खाराकुआं पर चातुर्मास हेतु विराजित संतश्री रत्नकीर्ति विजयजी ने पर्युषण पर्व के चतुर्थ दिवस पर कल्पसूत्र के वाचन के अवसर पर कही। कल्पसूत्र श्रवण के महत्व को बताते हुए उन्होने कहा कल्प यानि आचरण। जो समाजजन कर्तव्यों का पालन करते हुए विधि-विधानपूर्वक 21 बार कल्पसूत्र का श्रवण कर लेता है,उसके लिए मोक्ष का द्वार खुल जाता है। कल्पसूत्र वाचन का अधिकार समाजजन को नहीं है, बल्कि वही मुनि इसका वाचन कर सकता है, जिसने निष्चित साधना की हो। इसमें व्यावहारिक जीवन की कई महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख है। इसमें साधु-साध्वी की आचार संहिता के साथ तीर्थंकर प्रभु के जीवन का विस्तार से वर्णन है।
जन्मवाचन समारोह आज, केसर, कुमकुम के छापे लग मनाएंगे खुषी
मीडिया प्रभारी राहुल कटारिया एवं अभय जैन भैया ने बताया नगर के मंदिरों में शुक्रवार को अलग-अलग समय पर तीर्थंकर प्रभुश्री महावीर स्वामी का जन्मवाचन महोत्सव उत्साहपूर्वक एवं धूमधाम से मनाया जाएगा। सभी दूर पंजेरी, लड्डू, पेड़े की प्रभावना होगी। जैन धर्मावलंबी परंस्पर केसर, कुमकुम के छापे लगाएंगे और मंदिरों में प्रभु की माता को आए 14 स्वप्नों के प्रतीक चिन्ह एवं वर्ष भर के चढ़ावे की बोलिया बोली जाएगी। बोली बोलकर समाजजन प्रभु के पालनाजी को बैंड-बाजे से घर ले जाएंगे और रात्रि में प्रभु भक्ति करेंगे। संभी मंदिरों में आकर्षक अंगीरचना होगी, जिनके दर्षन के लिए रात्रि में बड़ी संख्या में समाजजन उमड़ेंगे। उल्लेखनीय है कि कल्पूसत्र वाचन के दौरान प्रतिपदा को प्रभु महावीर स्वामी के जन्म का प्रसंग आता है, जिसे सुनकर समाजजन हर्ष मनाते है। श्री अवंति पाष्र्वनाथ तीर्थ दानीगेट पर शनिवार दोपहर 2.30 बजे पन्यास प्रवरश्री विमलकीर्तिश्रीजी एवं साध्वी मंडल के सान्निध्य में प्रभु का जन्मवाचन होगा।