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पर्युषण में वाणी, विचार एवं प्रवृत्तियों में परिवर्तन होना चाहिए



श्री ऋषभदेव पेढ़ी खाराकुआं पर बोले गणिवर्य रत्नकीर्ति विजयजीे
उज्जैन। पर्युषण का उद्धेश्य प्रदर्शन नहीं बल्कि जीवन में परिवर्तन है। हमारी वाणी, विचार एवं प्रवृतियों में परिवर्तन आना ही चाहिए। सरल व्यक्ति में कोई दोष नहीं होता है। मन की बाधा तोड़ने का नाम ही धर्म है।
यह विचार श्री ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी खाराकुआं पर विराजित गणिवर्यश्री रत्नकीर्ति विजयजी ने पर्युषण पर्व के द्वितीय दिवस पर मंगलवार को धर्मसभा में व्यक्त किए। आपने श्रावक (समाजजन) के 11 वार्षिक कर्तयों का विस्तार से वर्णन करते हुए जीवन में इन्हे आत्मसात करने का आव्हान किया। यथा- संघ पूजा, साधर्मिक भक्ति, तीर्थ यात्रा, स्नात्र महोत्सव, देव द्रव्य की वृद्धि, अष्टप्रकारी पूजा, धर्म जागरण प्रभु भक्ति,ज्ञान पूजा, महोत्सव पूर्वक उजमणा, शासन प्रभावना, प्रायश्चित। संतश्री ने कहा कभी भी श्रीसंघ (जैन समाजजन) की निंदा मत करों। संघ के सदस्यों का सदैव बहुमान करें। उन्होने जैन धर्म के इतिहास में दर्ज अनेकों उदाहरण प्रस्तुत किए। यदि साधर्मिक बंधु के घर आने पर आपके मन में भक्ति न उमड़े तो समझे कि आपमें सम्यकत्व की कमी है। रथयात्रा निकाले, तीर्थ यात्राएं करें, महापूजनों का आयोजन करें, महोत्सव मनाए। तपस्या करें और उसकी पूर्णाहूति पर भावपूर्वक प्रभु भक्ति करें। धर्म शास्त्रों के अध्ययन के लिए प्रतिदिन कुछ समय निकाले। समाज के अलावा अन्य लोगों के लिए भी ऐसे कार्य करें, जिससे परंस्पर सदभावना बढ़े। जीवन में यदि कोई भूल हो जाए तो गुरू भगवंत के पास जाकर उसका प्रायश्चित प्राप्त करें। पन्यासप्रवर विमलकीर्ति विजयजी, साध्वी विजेताश्रीजी आदि ठाणा भी उपस्थित थे। मीडिया प्रभारी राहुल कटारिया एवं अभय जैन भैया ने बताया इस अवसर पर उपस्थित समाजजनों ने दिगंबर संतश्री तरूणसागरजी के खिलाफ टिप्पणी करने वाले संगीतकार विशाल एवं तहसीन पूनावाला के खिलाफ अपना विरोध प्रगट किया। महेंद्र सिरोलिया, जयंतीलाल तेलवाले, गौतमचंद धींग, अशोक भंडारी, बाबूलाल बिजलीवाले, प्रेम चोरड़िया, हेमंत पावेचा, राजेश डगवाले, दिलीप सिरोलिया, कल्याणमल खलीवाले प्रमुख रूप से उपस्थित थे। संध्या को श्री केशरियानाथजी, श्री सिद्धचक्र मंडल, महावीर स्वामी आदि की आकर्षक अंगीरचना की गई, जिनके दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में समाजजन उमड़े। बुधवार को क्षमापना पर विशिष्ट प्रवचन होंगा। कल्पसूत्र की बोलिया बोली जाएगी।

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