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पाकिस्तान का बलूचिस्तान है भारत का कश्मीर, प्रधानमंत्री द्वारा नई आक्रामक विदेश नीति का ऐलान




डॉ. चन्दर सोनाने
 
    देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसी स्वतंत्रता दिवस को लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में पाकिस्तान के प्रति अपनी नई आक्रामक विदेश नीति का ऐलान कर दिया हैं। प्रधानमंत्री ने पाक अधिकृत कश्मीर, गिलगित और बलूचिस्तान में पाकिस्तान की ज्यादतियों का खुलासा कर और वहां के वाशिंदों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कर एक नया दांव चला हैं। प्रधानमंत्री ने इसके बहाने बलूची संघर्ष का खुला समर्थन देते हुए पाक को चेतावनी दे दी हैं। प्रधानमंत्री की यह विदेश नीति भारत के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकती हैं। अब जरूरत इस बात की हैं कि इस पर अडिग रहे और इसी दिशा में सख्ती और कुटनीति से कार्य करते रहे  ।
              अंग्रेजों ने देश छोडते समय देशी रियासतों को भारत या पाकिस्तान में मिलने अथवा स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया था। कबाइली आबादी वाले बलूचिस्तान के शासक खान ए कलत ने उस समय आजाद रहने का फैसला लिया था, किंतु पाकिस्तान ने जोर जबरजस्ती करते हुए मार्च 1948 में बलूचिस्तान का विलय अपने देश में करा लिया था। इसके बावजूद बलूचिस्तान में आजादी की भावना कभी दबी नहीं । समय-समय पर उन्होंने अपने तई पाकिस्तान का विरोध किया । अभी भी उनका संघर्ष और विरोध चल रहा हैं। पाक सेना ने दस हजार से अधिक बलूची लोगों को मार डाला। सन् 2006 से बलूची संघर्ष का एक नया दौर शुरू हुआ। और बलूची लोगों ने वहीं रहते हुए और अन्य देश जाकर वहां से अपना संघर्ष चालु रखा हैं।
                  देश की लोह महिला श्रीमती इंदिरा गांधी ने सन् 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के संघर्ष को अपना समर्थन और सहयोग देकर हमेशा हमेशा के लिए उसका पाकिस्तान से नाता समाप्त कर एक नए बांग्लादेश के उदय में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। यह आज इतिहास में दर्ज हैं। उस समय प्रधानमंत्री ने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के माध्यम से ऐतिहासिक कार्य कर दिखाया था। आज फिर उसी तरह की कुटनीति और दूरदृष्टि की अपेक्षा हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंता दिवस पर किए ऐलान से अपनी नई आक्रामक विदेश नीति का खुलासा कर दिया हैं। अब भारत सरकार बलूची संघर्ष को खुला कुटनीतिक और नैतिक समर्थन देने को तैयार दिखाई दे रही हैं। यह एक शुभ संकेत हैं।
                   बलूचीस्तान पाकिस्तान की दुखती रग हैं। प्रधानमंत्री ने पहली बार पाकिस्तान की इस दुखती रग पर अपनी अंगुली रखी हैं। अब जरूरत इस बात की हैं कि यह दबाव बना रहे । भारत को भी अब पाकिस्तान की तर्ज पर उसी तरह उसको जवाब देना होगा। यही समय की मांग और वक्त की पुकार हैं।
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