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नाम की स्पैलिंग ठीक करवाने के लिए जींदगी भर लड़ा लेकिन जब ठीक हुई तो...


बीकानेर। कहते हैं कि अति हर चीज की बुरी होती है फिर चाहे वह खुशी ही क्यों ना हों। राजस्थान के एक व्यक्ति ने खुशी की अतिरेक में दम तोड दिया। दरअसल बीकानेर के एक किसान ने जमीन से जुडे कागजात में अपने नाम की स्पेलिंग ठीक कराने में अपने जीवन के 55 साल खपा दिए और 55 साल बाद जब उसका नाम ठीक हुआ तो खुशी के मारे उसके प्राण पखेरू ही उड गए। बीकानेर जिले के जैमलसार गांव के 75 वर्षीय किसान मांगीदास जब 20 साल के थे तो उनके पिता नरिसिंहदास का निधन हो गया था। मांगीदास के पिता नोखा दाइया गांव में 10 बीघा जमीन और जैमलसर गांव के बाहर 40 बीघा जमीन छोडी थी। पिता की मृत्यु के बाद यह जमीन बेटे मांगीदास के नाम ट्रांसफर हो गई लेकिन ट्रांसफर के समय मांगीदास के नाम की स्पेलिंग गलत हो गई।
दरअसल कागजों में मांगीदास(Mangidas) की जगह मांगनीदास(Mangnidas) हो गया। इस वजह से मांगीदास को काफी परेशानी का सामना करना पडा। नाम की स्पैलिंग में सिर्फ एक N और जुडने से मांगीदास का जीना मुहाल हो गया। नाम की स्पैलिंग गलत होने से उनकी किसान की पहचान साबित नहीं हो पा रही थी। यहां तक की उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड भी नहीं मिल पा रहा था। साथ ही मांगीदास का नाम सरकारी रिकॉर्ड से मेल नहीं खा रहा था। मांगीदास ने 55 साल पहले अपने नाम की स्पैलिंग ठीक कराने की मुहिम छेडी। लालफीताशाही के चलते 55 साल तक तक मांगीदास के नाम की स्पैलिंग ठीक नहीं हो पाई। 55 साल बाद जैमलसार पंचायत मुख्यालय में 21 मई को न्याय आपके द्वार कैंप लगा।

इस कैम्प में मांगीदास के नाम की स्पैलिंग ठीक हो गई। मांगीदास के बेटे जानकीदास ने नाम सही कराने के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कराने के बाद हलफनामे पर पिता के अंगूठे का निशान लगवाया। इस पर मांगीदास को एकबार तो विश्वास नहीं हुआ आरै खुशी के मारे मांगीदास के प्राण पखेरू उड गए। जब मांगीदास का बेटा जानकीदास नाम के ठीक होने का सरकारी कागज लेकर आए तब तक उनके पिता दम तोड चुके थे। जानकीदास के मुताबिक उनके पिता की मृत्यु खुशी के अतिरेक की वजह से हुई। दुर्भाग्य से नाम के सही होने वाले सरकारी सबूत को खुद अपनी आंखों से देखने से पहले ही मांगीदास चल बसे।

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