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मुख्यमंत्री चौहान की केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी. नड्डा से मुलाकात



चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग की केन्द्र में लंबित परियोजनाओं पर विस्तार से चर्चा
बीएमएचआरसी को राज्य को सौंपने का अनुरोध

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा से मुलाकात कर केन्द्र सरकार में लंबित राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग की परियोजनाओं की स्थिति से अवगत करवाया। प्रदेश की प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण श्रीमती गौरी सिंह और मुख्यमंत्री के सचिव श्री हरिरंजन राव मौजूद थे।

श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश में सात नये चिकित्सा महाविद्यालय (विदिशा, रतलाम, शहडोल, दतिया, खंडवा, शिवपुरी, छिन्दवाड़ा) में खोलने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के पास लंबित हैं। चिकित्सा महाविद्यालय खोलने के लिए भूमि का चयन एवं हस्तांतरण राज्य सरकार द्वारा किया जा चुका है। परियोजना का एमसीआई मापदंड के अनुसार परीक्षण पूर्ण कर निर्माण कार्य भी प्रारम्भ कर दिया गया है। श्री चौहान ने बताया कि केन्द्र से लगभग 1000 करोड़ की राशि अपेक्षित है।

श्री चौहान ने केन्द्रीय मंत्री श्री नड्डा से एम्स भोपाल के निदेशक पद को भरने का भी अनुरोध किया। साथ ही श्री चौहान ने बताया कि भोपाल मेमोरियल अस्पताल में ठीक से कार्य नहीं हो पा रहा है। उन्होंने अनुरोध किया कि इसका संचालन यदि केन्द्र सरकार राज्य सरकार को सौंप दे और साथ ही केन्द्र द्वारा इस अस्पताल के संचालन के लिए कुछ समय तक सहायता राशि को जारी रखे तो इस अत्याधुनिक अस्पताल का फायदा भोपाल के लोगों को मिल सकेगा।

श्री चौहान ने बताया कि 13वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के अनुसार राज्य सरकार को 2200 करोड़ की राशि स्वीकृत की गयी थी। इसमें से अभी 1650 करोड़ की राशि राज्य सरकार को अभी तक मिली है। उन्होंने अनुरोध किया शेष 550 करोड़ की लंबित राशि को भी शीघ्र जारी किया जाये, जिससे रुके कार्यों को शीघ्र पूरा किया जा सके।

श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश में चिकित्सकों की भारी कमी है। चिकित्सकों को सरकारी नौकरी में आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने कई ठोस कदम उठाये हैं। उन्होंने आग्रह किया कि सरकारी नौकरी में आने के लिए इन-सर्विस डॉक्टर्स को यदि पीजी अथवा डिप्लोमा की सुविधा के लिए कोटा उपलब्ध हो जाये तो अनेक नवयुवक चिकित्सक शासकीय सेवा में आने के लिए आकर्षित होंगे। उन्होंने बताया कि इसी तर्ज पर प्रस्तावित डिप्लोमा ऑफ नेशनल बोर्ड की मान्यता प्रदेश के चार जिला अस्पताल- भोपाल, जबलपुर, उज्जैन और ग्वालियर में शुरू किया जाता है तो प्रदेश में विशेषज्ञों की कमी को कुछ हद तक दूर किया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश के जन-जातीय इलाकों में मलेरिया की समस्या काफी गम्भीर है। मलेरिया के उन्मूलन के लिए राज्य सरकार युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही है। मलेरिया के संक्रमण को रोकने के लिए कीटनाशी उपचारित मच्छरदानी (एल.एल.आई.एन.) एक कारगर उपाय है। उन्होंने अनुरोध किया कि केन्द्र सरकार न्यूनतम 20 लाख एलएलआईएन उपलब्ध करवाये, जिससे राज्य सरकार प्रत्येक परिवार को दो कीटनाशी मच्छरदानी उपलब्ध करा सके।

केन्द्रीय मंत्री श्री नड्डा ने मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा उठाये गये सभी मुद्दों को ध्यानपूर्वक सुनकर केन्द्र सरकार की तरफ से हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया।
आर.एस. पाराशर

 

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