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मुख्य वन संरक्षक सम्मेलन में मुख्यमंत्री चौहान


पर्यावरण संरक्षण के लिये वनों को बचाना जरूरी
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पर्यावरण संरक्षण के लिये वनों को बचाना जरूरी है। वन नहीं बचे तो इन्सान भी नहीं बचेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज प्रशासन अकादमी में दो दिवसीय मुख्य वन संरक्षक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में वन मंत्री डॉ.गौरीशंकर शेजवार विशेष रूप से उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भारत में पेड़-पौधों की पूजा की परंपरा रही है। पेड़ों की पूजा इस बात का प्रतीक है कि वनों के बिना जीवन अधूरा है। भारतीय संस्कृति कहती है कि प्रकृति का शोषण नहीं करें बल्कि दोहन करें। प्रदेश में वन क्षेत्र लगातार बढ़ा है इसके पीछे संयुक्त वन प्रबंधन समितियों द्वारा किया गया बेहतर कार्य है। वनों को बचाने के लिये वनों को वनवासियों के रोजगार से जोड़ना होगा। वनोपजों का समर्थन मूल्य घोषित कर इसी दिशा में प्रयास किया गया है। बाँस मिशन के जरिये भी रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वन संरक्षण के साथ विकास कार्य नहीं रुके इस पर ध्यान दे। वनवासियों की कठिनाइयों को समझकर योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाये। वन विभाग स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर वन ग्रामों में स्वास्थ्य शिविर लगायें। वन प्रबंधन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाये।

वन मंत्री डॉ. शेजवार ने कहा कि वनवासियों का समग्र विकास संयुक्त वन प्रबंधन के माध्यम से किया जा रहा है। वन ग्रामों में स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिये वन रक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है। वनों के विकास एवं संरक्षण में क्षेत्रीय अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। प्रमुख सचिव वन श्री दीपक खांडेकर ने कहा कि राज्य शासन की प्राथमिकता के अनुरूप विभाग पर्यावरण और वन संरक्षण का कार्य करेगा।

आरंभ में प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री नरेंद्र कुमार ने सम्मेलन के उद्देश्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में संयुक्त वन प्रबंधन, वन्य-प्राणी प्रबंधन, वन संरक्षण और वन क्षेत्रों में आजीविका के साधन बढ़ाने पर विस्तार से चर्चा की जायेगी। अंत में आभार प्रदर्शन मुख्य वन संरक्षक श्री सी.एस.मान ने किया।
एसजे

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