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सांसद ने ली आपत्ति, जांच के निर्देश


झंडा दिवस पर स्कूलों को दिए जाने वाले झंडों के एवज में जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा विकासखंडों की बैठक में सशस्त्र सैनिक कल्याण निधि में सहयोग राशि के नाम पर रुपए लिए जा रहे हैं। बैठकों में डिब्बा रखकर स्कूल संचालकों को कम से कम 500 रुपए इस डिब्बे में डालने के लिए कहा जा रहा है। इस मामले की जानकारी सामने आने के बाद सांसद अनिल फिरोजिया ने इस मुद्दे को दिशा की बैठक में भी उठाया। जिस पर कलेक्टर ने जांच के निर्देश दिए हैं।

झंडा दिवस के उपलक्ष्य में स्कूलों को झंडों/टिकटों का वितरण जिला सैनिक कल्याण बोर्ड द्वारा जिला शिक्षा विभाग के माध्यम से किया जाता है। पूर्व के वर्षों में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के माध्यम से यह झंडे एकत्रित कर संकुलों में भिजवाए जाते थे। जहां से स्कूल संचालक झंडों/टिकटों की निश्चित कीमत का भुगतान कर रसीद प्राप्त कर झंडे प्राप्त करते थे। इस बार जिला शिक्षा अधिकारी आनंद शर्मा द्वारा विकासखंडों में निजी स्कूल संचालकों की बैठक ली जा रही है। इन बैठकों के दौरान मंच या इसके आसपास एक डिब्बा रखा जा रहा है। जिस पर सशस्त्र सैनिक कल्याण निधि सहयोग राशि लिखा हुआ है। जिला शिक्षा अधिकारी शर्मा द्वारा स्वयं स्कूल संचालकों से इसमें न्यूनतम 500 रुपए की राशि डालने के लिए कहा जा रहा है। स्कूल संचालकों से सशस्त्र सैनिक कल्याण निधि सहयोग राशि के रूप में ली जा रही इस राशि का कहां उपयोग हो रहा है, इसकी कोई जानकारी नहीं है। कई विकासखंडों में स्कूल संचालकों को झंडे भी नहीं मिले हैं। जबकि होना यह चाहिए कि संकुलों के माध्यम से स्कूलों को झंडे वितरित कर राशि प्राप्त करते हुए रसीद दी जाना चाहिए।

दिशा की बैठक में सांसद अनिल फिरोजिया ने इस मामले पर आपत्ति ली। सांसद फिरोजिया ने बताया मेरे पास शिकायतें आई थी कि बिना कोई रसीद दिए झंडों के नाम पर स्कूल संचालकों से राशि ली जा रही है। जिस पर मैंने दिशा की बैठक में आपत्ति ली आैर कलेक्टर को जांच करवाने के लिए कहा। इसके अलावा स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित मलखंभ प्रतियोगिता में भी आवंटित बजट से चार गुना से अधिक राशि खर्च करने के मामले में भी आई शिकायत पर जांच के लिए कहा। इन मामलों में कलेक्टर ने जांच के निर्देश दिए हैं।

जांच से सब स्पष्ट हो जाएगा

इधर इस मामले में डीईओ आनंद शर्मा का कहना है कि झंडे के एवज में जिला सैनिक कल्याण बोर्ड को भी करीब 70 से 75 हजार रुपए की र​ाशि का भुगतान करना होता है। इसलिए स्कूल संचालकों से स्वेच्छा से राशि देने को कहा है। इसमें कुछ गलत नहीं है। जो स्कूल संचालक राशि नहीं भी देंगे, उन्हें भी झंडों का वितरण किया जाएगा। मामले में जांच के निर्देश होने के सवाल पर डीईओ का कहना है कि जांच हो जाने दीजिए। जांच से सब स्पष्ट हो जाएगा।

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