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'लेक मैन‘ आनंद मल्लिगावड़ उज्जैन पहुंचे


मेरे दादाजी नदी का पानी पीते थे। पिताजी ने कुएं का पानी पीया, मैं नल का पानी पीता हूं और बच्चे बाटल का। अगर हम पानी को नही बचा पाए तो आने वाली पीढी की आंखों में पानी बचेगा। जरूरी हैं कि हमें जल स्रोतों को बचाना होगा। इस संदेश के साथ ‘भारत के लेक मैन‘ आनंद मल्लिगावड़ उज्जैन पहुंचे। उन्होंने कहा कि मेरा सपना है कि बच्चों के लिए ऐसा ग्रीन प्लेनेट बने, जहां आने वाली पीढ़ियां सुकून से जीवनयापन करें।

वे जिला पंचायत के तत्वाधान में सोमवार को कालिदास अकादमी संकुल में तालाब का पुनर्जीवन विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। मल्लिगावड़ ने तालाबों के संरक्षण के तकनीकी पहलू पावरपाइंट प्रजेंटेशन से बताए और शहरवासियों से आग्रह किया कि तालाबों की क्लिनिंग (सफाई) नहीं रिजूवनेशन (कायाकल्प) होना चाहिए। देश के 117 तालाबों को पुनर्जीवन प्रदान करने वाले मल्लिगावड़ देश के 12 राज्यों में तथा विदेशों में भी जल संरक्षण का कार्य कर रहे हैं। वे बोले कि सूखे तालाबों के अतिक्रमण हटाने से लेकर तालाब में साफ पानी का संचय उनके जीवन का हिस्सा बन गया है।

तालाबों का गहरीकरण चाय की प्लेट की संरचना जैसा होना चाहिए। वह छोटे बच्चों से लेकर बड़ों के स्नान के लिहाज से सुरक्षित हो। उन्होंने बताया कि उनकी तकनीक बगैर सीमेंट, लोहे के कार्य करती है। जिला पंचायत की सीईओ जयति सिंह ने बताया कि हमारी टीम ग्रामीण क्षेत्र मे जल संरक्षण को लेकर जो कार्य कर रही है वह आनंद मल्लिगावड़ के कांसेप्ट से मिलता जुलता है। इसी कड़ी में उन्हें आमंत्रित कर सेमिनार किया गया। कम बजट में अच्छा नेचुरल रिसोर्स बनाने को लेकर हमारा भी फोकस है। कार्यक्रम में कविता उपाध्याय आदि मौजूद रहे।

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