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अध्यात्मिक नगरी बसने से एतिहासिक होगा सिंहस्थ महापर्व 2028, साधु-संतों ने देखी कार्य योजना


उज्जैन- सिंहस्थ मेला कार्यालय में 13 अखाड़ों कि परिषद के आग्रह पर साधु संतों ने सिंहस्थ 2028 की कार्ययोजना का प्रजेंटेशन का अवलोकन किया, स्थाई निर्माण व चौड़ी सड़के बनने से मेले में आम श्रृद्धालुओं व साधु संतों को होगी सुगमता, और अस्थायी निर्माण पर होने वाला करोड़ों का खर्च बचेगा। उज्जैन ,आगामी उज्जैन महापर्व 2028 के लिए हरिद्वार की तर्ज पर स्थाई निर्माण चौड़ी सड़के एवं सौन्दर्गीकरण होने से यह महापर्व और ऐतिहासिक स्वरूप धारण करेगा। साधु संतों की मांग पर ही मप्र शासन द्वारा उज्जैन विकास प्राधिकरण ने संपूर्ण मेला क्षेत्र के लिए आध्यात्मिक नगरी बसाने की वृहद कार्य योजना बनाई जा रही है। आज मंगलवार को समस्त 13 अखाड़ों के साधु संतों ने सिंहस्थ मेला कार्यालय में प्रजेंटेशन के माध्यम से कार्य योजना का अवलोकन किया। योजना का प्रारूप समझने के बाद स्थानीय अखाडा परिषद अध्यक्ष डॉ रामेश्वर दास व महामंत्री रामेश्वर गिरी महाराज एवं अन्य संतों ने यही पाया कि स्थाई प्रकृति के निर्माण हो जाने से मेला क्षेत्र में आवागमन की सुगमता, यातायात एवं भीड़ प्रबंधन, स्थाई मल जल निकासी सहित अन्य सुविधाओं को विस्तार होगा एवं स्थानीय रहवासियों को भी कई तरह के लाभ होंगें। विदित हो कि सिंहस्थ क्षेत्र में प्रस्तावित इस योजना को लेकर गत दिनों अखाडा परिषद के साधु-संतों द्वारा भोपाल जाकर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का आभार जताकर साधुवाद दिया गया था। प्रयागराज महाकुंभ 2025 में सनातनी धर्माबलम्बीयों की बड़ी संख्या में स्नान पर्व पर आगमन को देखते हुए, उज्जैन सिंहस्थ 2028 की कार्य योजना अधिक विस्तृत एवं सुरक्षित हो, जिससे अखाड़े के साधु संत और आम जनता की सुरक्षा प्राथमिकता में होनी चाहिए, जो कि प्रस्तावित योजना में निहित है। आगामी सिंहस्थ 2028 में उज्जैन में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पंहुचने का अनुमान है। इसके लिए व्यवस्था बनाना जरूरी है। हमने प्रशासन को आग्रह किया है कि चौड़े रोड़, पार्किंग, स्नान की व्यवस्था, पण्डालों की विशेष व्यवस्था, पीने का पानी, शौचालय, कचरा प्रबंधन एवं सुगम यातायात के लिए कार्य योजना बनाए। सिंहस्थ 2028 में स्थाई प्रकृति के निर्माण कार्यों को करने के लिए जरूरी है कि इनका निर्माण कार्य वर्तमान समय से ही शुरू कराया जाएं, जिससे दिसम्बर 2027 में सभी कार्य पूर्ण हो सके। साथ ही जिन कृषकों की कृषि भूमि योजना में सम्मिलित की जायेगी उन्हे उचित मुआवजा दिलवाया जाए। उल्लेखनीय है कि नासिक महा महाकुंभ मेले के बाद सभी अखाड़े अपने-अपने देवताओं के साथ उज्जैन की ओर कुच कर जायेंगे।

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