प्रदर्शनी आर्ष भारत : विरासत से रूबरू हुए स्कूली बच्चें
उज्जैन- महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा विक्रमादित्य, उनके युग, भारत उत्कर्ष, नवजागरण और भारत विद्या पर एकाग्र विक्रमोत्सव 2025 अंतर्गत शोधपीठ कार्यालय परिसर, बिड़ला भवन में भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा पर केन्द्रित आर्ष भारत प्रदर्शनी एवं अश्विनी शोध संस्थान महिदपुर की प्राचीन व दुर्लभ अस्त्र शस्त्र, सील सिक्के की प्रदर्शनी को स्थानीय रवींद्रनाथ टैगोर के छात्र-छात्राओं ने अवलोकन किया। इस प्रदर्शनी में भारत के प्राचीन ऋषि-मुनियों के वैज्ञानिक योगदान को चित्रों और जानकारी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। प्रदर्शनी में आर्यभट्ट, चरक, सुश्रुत, कणाद, पतंजलि, भास्कराचार्य और अन्य महान वैज्ञानिकों की खोजों और उनके योगदान को दर्शाया गया है। बच्चों ने विशेष रूप से वैदिक गणित, आयुर्वेद, खगोल विज्ञान और योग विज्ञान से जुड़ी जानकारियों में रुचि दिखाई। स्कूल की टीचर रूमा माथुर ने बताया कि इस प्रकार की प्रदर्शनियाँ विद्यार्थियों को भारतीय विज्ञान और परंपरा की समृद्ध विरासत से परिचित कराने में सहायक होती हैं। बच्चों ने भी इस अनुभव को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि इससे उन्हें विज्ञान को नए दृष्टिकोण से समझने का अवसर मिला। इस दौरान उन्होंने हजारों वर्ष पुराने प्राचीन हथियार खंजर, तोप के गोले, तलवार व ढाल, कुल्हाड़ियाँ, तीर के फलक, धुरे, कवच भी देखे। स्कूली छात्र- छात्राओं के साथ टीचर नीलम शर्मा, राखी भटनागर, अंजना जोशी उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा पर केन्द्रित आर्ष भारत प्रदर्शनी में 100 से अधिक ऋषियों, मनीषियों, महापुरूषों के चित्रों को देशभर के चित्रकारों ने तैयार किया है। यह प्रदर्शनी भारतीय ऋषियों द्वारा दिये गये वैज्ञानिक योगदान को बताती है और यह स्पष्ट करती है कि भारतीय वैज्ञानिक परंपरा कितनी समृद्ध थी। 30 मार्च तक चलने वाली यह प्रदर्शनी उज्जैन के लोगों के लिए रोजना सुबह 11:00 से सायं 8:00 बजे तक अवलोकनार्थ खुली रहेगी।