कुत्तों के आंतक से हर कोई परेशान किसी को काटकर, तो किसी पर लपककर कर रहे घायल, 11 महीने में 6 हजार लोग बने शिकार
उज्जैन - गली मोहल्लों में रोजाना बढ़ रहे आवारा कुत्तों से शहरवासी परेशान हैं। वर्तमान में हालात ये हैं कि गली मोहल्लों में छोटे बच्चों का खेलना कूदना तक दूबर हो गया है। राहगीर मोटरसाइकिल या साइकिल से जाते वक्त कहीं भी, कभी भी इनका शिकार बन सकते हैं। कुत्ते लोगों को देख उन पर लपकते हैं, नतीजतन, वो गिरकर भी चोटिल हो रहे हैं। ऐसा सिर्फ शहरी क्षेत्रों में ही नहीं ग्रामीण इलाकों में भी हो रहा है। जिला अस्पताल में ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी डॉग बाइट का उपचार करवाने आ रहे हैं। बावजूद इसके नगर निगम की टीम कोई कार्रवाई नहीं कर रही। बीते सप्ताह में तीन बड़े मामले सामने आए, जिनमें बच्चों की जान पर बन आई। लेकिन नगर निगम के जिम्मेदार वही रटा-रटाया जवाब देकर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं कि श्वानों को एक स्थान पर बांधकर नहीं रखा जा सकता, नसबंदी के बाद उन्हें छोड़ना ही पड़ता है।
प्रशासन को भी नहीं है चिंता
ऐसी कौन सी समस्या है, जिसका हल जिला प्रशासन के अधिकारियों के पास न हो, लेकिन ऐसा लगता है कि वे भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते या फिर ये मान लिया जाए कि प्रशासन को किसी बड़े हादसे का इंतजार है, इसके बाद ही मामले में कोई ठोस कदम उठाया जाएगा। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि ऐसा जल्द ही होगा।
11 नवम्बर की घटना
नानाखेड़ा क्षेत्र के नेहरू नगर में अर्शित नामक बालक अपने घर के बाहर खेल रहा था, तभी एक कुत्ता आया और उस पर टूट पड़ा। अचानक हुए कुत्ते के हमले से अर्शित घबरा गया और शोर मचाने लगा। शोर सुनकर आसपास के लोग भी उस तरफ दौड़े जहां शोर मच रहा था। लोगों ने देखा कि छोटे बच्चे को एक कुत्ता भमोड़ रहा है। कुत्ता इतना खूंखार था कि वह बच्चे के चेहरे को चबा लेना चाहता था। जैसे-तैसे लोगों ने बालक को कुत्ते के चंगुल से छुड़वाया और उसे अस्पताल लेकर पहुंचे। गनीमत यह थी कि कुत्ते के हमले में अर्शित की आंख बच गई। कुत्ते ने अर्शित के चेहरे को कई जगह से नोंचा व काटा था।
12 नवम्बर की घटना
नेहरू नगर में हुई घटना को 24 घंटे भी नही बीते थे कि उज्जैन के समीप घट्टिया तहसील के एक गांव में कुत्ते ने मासूम बच्ची को निशाना बनाया। कुत्ता बच्ची पर इस तरह लपका कि उसका सिर बुरी तरह से फट गया। गंभीर हालत में बच्ची को चरक अस्पताल में भर्ती कराया गया। बच्ची के परिजनों ने बताया कि वे कोयलखेड़ी के रहने वाले हैं। 7 वर्षीय रिषिका सहेलियों के साथ घर के बाहर खेल रही थी। शाम करीब 6 बजे उस पर गली का कुत्ता लपका। कुत्ते से बचने के लिए रिषिका ने दौड़ लगाई, लेकिन कुत्ते ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। रिषिका गिर गई और कुत्ता उसे खींचता हुआ ले गया। शोर सुनकर आसपास के लोग आए। उन्होंने कुत्ते को भगाया। तब तक कुत्ते ने रिषिका के चेहरे व सिर में काटकर गंभीर घाव कर दिए थे।
13 नवम्बर की घटना
ढांचा भवन निवासी 20 वर्षीय ध्रुव 13 नवम्बर को अपने घर आ रहा था, तभी उत्तम नगर के बाहर कुत्ता लपका। डर और घबराहट की वजह से ध्रुव अपनी बाइक से गिरकर बुरी तरह से जख्मी हो गया। घायलावस्था में ध्रुव को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां जांच के बाद पता लगा कि उसके दोनों हाथों के कलाई की हड्डियां टूट गई है और डॉक्टर ने दोनों हाथों में प्लेट डालने की सलाह दी है। अकेला ध्रुव ही नहीं, बल्कि ध्रुव जैसे कई लोग कुत्तों की वजह से रोजाना घायल हो जाते हैं।
कुत्तों के लपकने से हो रहे हादसे
कुत्तों के काटने का मामला अपनी जगह है, लेकिन ऐसी कई घटनाएं हो जाती हैं, जिनके जिम्मेदार स्ट्रीट डॉग्स होते हैं। शहर के भीड़ भरे मुख्य मार्गों को छोड़ दिया जाए, तो हर कॉलोनी, हर गली, हर एक मोहल्ले में बड़ी संख्या में कुत्ते मौजूद हैं। जो राह चलते लोगों पर लपककर उन्हें हादसों का शिकार बना रहे हैं। शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी श्वानों के आतंक की घटनाओं में रोज इजाफा हो रहा है। गांवों में भी स्ट्रीट डॉग्स के कारण कई हादसे हो चुके हैं। अक्टोबर माह में बोहरा समाज की एक मासूम बच्ची कुत्ते की दहशत से अपनी जान गवां चुकी है।
कहीं ऐसा न हो पशु क्रूरता पर उतर आएं लोग
पशु क्रूरता अधिनियम 1960 के अन्तर्गत श्वानों को संरक्षण प्राप्त है। अर्थात श्वानों के साथ क्रूरता करने एवं अन्य जगह स्थानांतरित करने पर सम्बंधित व्यक्ति के विरूद्ध उक्त अधिनियम कि धारा आईपीसी 428/429 के तहत अपराध पंजीयन का प्रावधान किया गया है। लेकिन कहीं ऐसी नौबत न आ जाए कि कुत्तों के आंतक से परेशान लोग कुत्तों पर ही हमला करने लगें। क्योंकि नगर निगम और जिला प्रशासन तो इस ओर ध्यान दे ही नहीं रहा। ऐसे में लोगों के पास अपनी और अपने बच्चों की जान बचाने का यही उपाय बचता है। हम ये नहीं कहते कि श्वान या किसी भी पशु पर कभी भी क्रूरता दिखाई जानी चाहिए, लेकिन अपनी रक्षा के लिए कुछ तो करना ही होगा।
कुत्तों ने 11 माह में 6 हजार लोगों को काटा
जिला अस्पताल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार साल 2024 के 11 महीनों में डॉग बाइट के 6 हजार से अधिक केस दर्ज हुए हैं। इसके आधार पर ये अनुमान लगाया जा सकता है कि रोजाना 20 लोग कुत्तों के काटने का शिकार हो रहे हैं। ये आंकड़ा तो उन लोगों का है, जो जिला अस्पताल में उपचार के लिए आते हैं। इनके अलावा ऐसे भी बहुत से लोग हैं, जो निजी अस्पतालों में जाकर अपना उपचार करवा लेेते हैं और इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग तक नहीं पहुंच पाती।
कांग्रेस नेता ने दी चेतावनी
सेठी नगर में रहने वाले कांग्रेस नेता हेमन्त सिंह चौहान ने नगर निगम को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर जल्द ही कुत्तों को पकड़ने की कार्रवाई नहीं की गई, तो वे लोग अपने अपने क्षेत्रों से कुत्तों को पकड़कर अधिकारियों के बंगलों में छोड़ेंगे। इन सबके लिए नगर निगम जिम्मेदार होगा।
नसबंदी का भी नहीं दिख रहा असर
नगर निगम ने बीते माह एक प्रेस विज्ञप्ति जारीकर ये बताया था कि बीते 6 सालों में उन्होंने करीब 20 हजार श्वानों की नसबंदी की है, जिसमें 6 संस्थाओं ने कार्य किया था। लेकिन यदि वर्तमान हालात पर गौर किया जाए, तो बीते कुछ सालों में कुत्तों की संख्या में एकाएक बढ़ोतरी देखने को मिली है। इससे तो लगता है कि श्वानों की नसबंदी के नाम पर महज औपचारिकता निभाई जा रही है। क्योंकि कुत्तों की संख्या में कमी आने के बजाए न सिर्फ उनकी संख्या बढ़ी है, बल्कि कुत्ते अब उग्र भी होने लगे हैं। ऐसे में ये तो स्पष्ठ है कि श्वानों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण पाने के लिए निगम को एनिमल बर्थ कन्ट्रोल नियम के तहत जाने कितने साल तक मेहनत करना होगी।
सरकार तय करे जवाबदेही
आमजन पशु क्रूरता अधिनियम 1960 की धाराओं में बंधे हैं, जिसमें वे अपने बचाव में भी यदि कुत्ते पर हमला करते हैं, तो वो कानूनी तौर पर अपराध की श्रेणी में दर्ज हो जाएगा, जिससे उन्हें सजा भी हो सकती है। लेकिन यदि श्वान या अन्य किसी भी पशु के सामने आने अथवा हमलाकर देने से मनुष्य की जान चली जाए या फिर अंग भंग हो जाए, तो इसे केवल हादसा या दुर्घटना ही कहा जाएगा। ऐसे में जरूरी है नियमों में संशोधन की या फिर कानून में बदलाव की, ताकि इस तरह की समस्याओं का कोई सार्थक हल निकाला जा सके। जिले के अफसर तय करें कि ऐसे हादसों का शिकार हुए लोगों को कैसे न्याय दिलाया जाए या फिर सरकार ऐसे मामलों में अफसरों की जवाबदेही तय करे।
कुत्तों के हमलावर होने की वजह जानें
मामले में सबसे अधिक जरूरी है कि श्वानों के हमलावर होने के कारणों की जांच की जाए। नगर निगम को किसी चिकित्सक या विशेषज्ञ की मदद से ऐसे स्थानों का लगातार मुआयना करवाना चाहिए, जहां से कुत्तों के काटने की शिकायतें अधिक आती हैं।
अभी तो यही सलाह
ठंडे मौसम में कुत्तों का आतंक बढ़ जाता है। वे न सिर्फ काटते हैं बल्कि मनुष्यों को देखकर नरभक्षियों की तरह बर्ताव करने लगे हैं। हाल की घटनाओं को देखकर तो ऐसा ही प्रतीत होता है। इसलिए अपने बच्चों को जितना हो सके कुत्तों से दूर रखने का प्रयास करें, विशेषकर शाम के समय बच्चों के आसपास ही रहें। जिन इलाकों में कुत्ते ज्यादा हों वहां पर बच्चों को न खेलने दें। लोकनब्ज और दस्तक न्यूज डॉट कॉम आपको यही सलाह देता है कि जब तक शासन प्रशासन और नगर निगम नहीं जागता आप खुद चौकन्ना रहकर अपनी व अपने बच्चों की सरुक्षा करें।