'उज्जैन नगर निगम के अधिकारियों का वेतन आधा करे'
इंदौर हाईकोर्ट में मंगलवार को एक ठेकेदार को भुगतान नहीं करने के मामले में सुनवाई हुई। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने उज्जैन नगर निगम को चार सप्ताह में ठेकेदार को पूरा भुगतान करने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने यह तक कहा है कि अधिकारियों का वेतन आधा कर भुगतान किया जाए।
ठेकेदार विमल जैन की याचिका पर चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने कहा कि महाकाल की नगरी उज्जैन में निगम अधिकारी अकाल ढा रहे हैं। सरकार जांच करें। अगर वास्तव में उज्जैन नगर निगम की आर्थिक स्थिति इतनी बदहाल है कि वह ठेकेदार को भुगतान नहीं कर पा रहा है तो सरकार इसे अपने अधीन ले ले।
तालाब सौंदर्यीकरण पर खर्च हुए थे 70 लाख रुपए याचिकाकर्ता के वकील लक्की जैन ने कोर्ट को बताया कि साल 2020 में उज्जैन के गंधर्व तालाब के सौंदर्यीकरण का काम किया था। जिस पर 70 लाख रुपए खर्च हुए थे। बाद में नगर निगम ने फंड की कमी बताकर काम ड्रॉप कर दिया। साथ ही ठेकेदार को भुगतान भी नहीं किया गया।
2020 से ही पेमेंट नहीं दिया। ऑडिट हो गया था। जनवरी 2024 में याचिका लगाई गई। तब भी फंड की कमी नगर निगम ने बताई। अभी तक 5 सुनवाई हो चुकी है। जवाब नगर निगम की तरफ से फाइल नहीं किया गया। निगम कमिश्नर की तरफ से शपथ पत्र दिया गया। जिसमें फंड की बात कही।
अधिकारियों का वेतन आधार कर दिया जाए मामले में चीफ जस्टिस ने अपने फैसले में कहा कि जब तक ठेकेदार को भुगतान नहीं हो जाता तब तक अधिकारियों का वेतन आधा कर दिया जाए। नगर निगम चार सप्ताह में ठेकेदार को पूरा भुगतान करें। वरना उज्जैन नगर निगम कमिश्नर के खिलाफ अवमानना का मामला चलेगा। अगर सही में फंड की कमी है तो शासन मामले की देखरेख करे और नगर निगम को अपने अधिग्रहण में ले ले।