एसपी का यह प्रेम गजब है ! -कीर्ति राणा (वरिष्ठ पत्रकार)
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कीर्ति राणा (वरिष्ठ पत्रकार)
एसपी का यह प्रेम गजब है !
जबलपुर एसपी कार्यालय से जारी एक फरमान भले ही हंसी का कारण बन रहा हो लेकिन जुआंरियों का तो एसपी ने दिल जीत लिया है। दीपावली से देव उठनी ग्यारस तक के लिये जारी इस फरमान में सभी थाना प्रभारियों के साथ ही अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि जहां से भी जुआं खेलने संबंधी सूचना आए तो गोरिल्ला तरीके वाला छापा नहीं मारें। यह कार्रवाई ऐसी हो कि जुआंरियों को जानकारी लग जाए।जुआंरियों की धरपकड़ से पहले यह भी देख लें कि उस स्थान के आसपास कुआं-नदी-बावड़ी वगैरह तो नहीं है।बस पुलिस अपनी मौजूदगी का अहसास करा दे ताकि वे आराम से भाग जाएं। गिरफ्त में आने से बचने वाला कोई जुआंरी हड़बड़ाहट में कुए या नदी में ना गिर जाए।इसी तरह दूसरी-तीसरी मंजिल पर जुआं खेलने वालों को भी पुलिस अपनी मौजूदगी का अहसास कराए ताकि वो लोग खुद ही भाग जाएं। यह अजीबोगरीब आदेश वॉयरल होने के बाद जब जबलपुर एसपी के ‘जुआंरी प्रेम’ कीखिल्ली उड़ने लगी तो संसोधित आदेश जारी कर कहा गया कि जुआंरियों की धरपकड़ में सावधानी बरतें।
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सांसद की सजगता के आगे झुकी सरकार
सरकार के निर्णय के खिलाफ भोपाल के सांसद आलोक शर्मा का विरोध इतना तार्किक रहा कि सरकार ने भोपाल में कलेक्टर गाइड लाईन में वृद्धि के प्रस्ताव पर अमल को रोक दिया है।सांसद शर्मा का तर्क था कि बिना जनप्रतिनिधियों से चर्चा और उनकी राय लिये बिना गाइड लाईन में वृद्धि के एकतरफा निर्णय से मध्यमवर्ग का खुद के घर का सपना पूरा नहीं होगा। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने सांसद शर्मा और क्रेडाई अध्यक्ष मनीष मीका के तर्क सुनने के बाद भोपाल में गाइड लाईन में वृद्धि को रोक दिया है।इंदौर में ऐसी सजगता किसी जनप्रतिनिंधि ने नहीं दिखाई इसलिये शहर की 469 लोकेशन पर 5 से लेकर 200 फीसदी तक गाइड लाईन बढ़ जाएगी। उज्जैन तो खुद सीएम का गृह जिला है वहां की 91 लोकेशन पर गाइड लाईन में वृद्धि होगी।
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दस साल और मिल गए…!
मध्य प्रदेश में बढ़ती मेडिकल कॉलेजों की संख्या और पेरामेडिकल काउंसिल के नियम जारी नहीं होने से प्राध्यापकों की भर्ती में विलंब के चलते सरकार ने बीच का रास्ता निकाल कर सहायक प्राध्यापकों की भर्ती उम्र 40 से बढ़ाकर 50 साल कर दी है।इस भर्ती उम्र वृद्धि से सहायक प्राध्यापकों की संख्या बढ़ने के साथ मेडिकल कॉलेजों में संकट कुछ तो कम हो जाएगा।
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कोडवानी के नाम होगी कामयाबी
जब खुद मुख्यमंत्री इंदौर के बीआरटीएस को लेकर पूछताछ करें तो मान लेना चाहिए कि भोपाल में सफाए के बाद इंदौर वाले बीआरटीएस की भी उल्टी गिनती शुरु हो गई है।राज्य सरकार 2025 में इंदौर की इस मांग को मंजूर कर सकती है। अब रही बात बीआरटीएस को अनुपयोगी बता कर हाइकोर्ट में लड़ाई लड़ने की तो इसका श्रेय तो किशोर कोडवानी को देना ही पड़ेगा।बीते कई वर्षों से वो इस मामले में शासन के हर जवाब को अपने अकाट्य तर्कों से ध्वस्त नहीं करते तो कोर्ट के निर्देश पर जिला प्रशासन को जांच समिति गठित नहीं करना पड़ती, यह बात अलग है कि जो समिति गठित की गई उसकी आज तक बैठक नहीं हुई है।
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फिर जल उठा दीपक….!
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ही जाने की उनके इस दावे में कितनी सच्चाई है कि भाजपा ने उन्हें अपने साथ आने के लिये पचास करोड़ के साथ मंत्री पद का ऑफर भी दिया था।अपन तो राजनीति के संत कहे जाने वाले पूर्व सीएम कैलाश जोशी के कुल दीपक की ही बात करें, करीब 560 दिन पहले वो शिवराज सिंह चौहान से मुंह फुलाने के साथ ही पार्टी को छोड़कर एक हाथ में गदा और दूसरे हाथ से कमलनाथ की अंगुली पकड़ कर कांग्रेस में चले गए थे।अभी जब बुधनी में उपचुनाव की सरगर्मी चल रही है तो कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल के पक्ष में सभा मंच से भाजपा का दोगलापन बताने के चौथे दिन बाद ही शिवराज सिंह से ऐसे लिपट गए जैसे सिंहस्थ में बिछड़ने के बाद मिले हों।इस घर वापसी के वक्त उनके हाथों में वो गदा भी नहीं दिखी, जिसके वार से भाजपा का अहं चूर चूर करने का संकल्प लिया था।मप्र में कांग्रेस की सरकार ही नहीं बनी तो यहां करते भी क्या।
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एमपी 02 की चाहत
बड़ी इच्छा तो मन में ही दबी रह गई, अब छोटी सी ख्वाहिश है कि जो नई गाड़ी अलॉट हुई है कम से कम उसका नंबर एमपी 02 सीरिज का मिल जाए।ये कोई इतनी बड़ी बात है भी नहीं लेकिन टेक्निकल प्रॉब्लम यह है कि मोहम्मद सुलेमान वर्तमान में प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के अध्यक्ष बनाये गये हैं।वल्लभ भवन, मंत्रालय और संचालनालय से अब उनका कोई रिश्ता नहीं है।जबकि एमपी 02 पर पहला हक
मंत्रालय और संचालनालय के वाहनों का है।निगम, मंडल, बोर्ड के लिए सामान्य सीरिज के नंबर ही आवंटित किए जाते हैं।
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अन्नकूट में मच्छर मुक्ति की धुनी !
इंदौर के प्रमुख मंदिरों में इन दिनों अन्नकूट का दौर चल रहा है। प्रसाद ग्रहण करने सैकड़ों श्रद्धालु शामिल होते हैं।शहर में मच्छरों की भरमार से बुखार पीड़ितों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। आयोजन समिति सदस्यों को अब अन्नकूट वाले मैदानों पर मच्छरों से मुक्ति के लिये कंडे जलाने के साथ कछुआ छाप अगरबत्ती आदि का इंतजाम भी करना पड़ रहा है।सात बार नंबर वन रहने का गर्व से बखान करने वाले महापौर से लेकर भाजपा के पार्षद-नेता भी अन्नकूट में शामिल होते हैं, मच्छरों से मुक्ति के इन इंतजामों की सराहना करते वक्त यह भी याद नहीं रख पाते कि शहर को मच्छर मुक्त करना नगर निगम की ही जिम्मेदारी है।
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एमजीएम का अगला डीन कौन ?
हेलोविन पार्टी अनुमति मामले में उलझे एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ संजय दीक्षित का भी कुछ इसलिये नहीं होगा कि पार्टी करने वाले अक्षय कांति बम सहित अन्य का भी कुछ नहीं होना है।
इस पार्टी के कारण मेडिकल क्षेत्र में चर्चा में बने रहे डीन डॉ दीक्षित का कार्यकाल पूरा होने के बाद अगला डीन कौन बनेगा, यह चर्चा चल पड़ी है। पूर्व मंत्री शेजवार के दामाद डॉ अरविंद घनघोरिया इंदौर में एचओडी सर्जरी से करीब आठ महीने पहले ही नीमच में डीन बन कर गए हैं।तगड़ी दावेदारी तो उनकी ही है क्योंकि राजनीतिक रूप से उनकी जड़े मजबूत हैं। पूर्व मंत्री शेजवार के दामाद डॉ अरविंद घनघोरिया इंदौर में एचओडी सर्जरी से करीब आठ महीने पहले ही नीमच में डीन बन कर गए हैं।तगड़ी दावेदारी तो उनकी ही है क्योंकि राजनीतिक रूप से उनकी जड़े मजबूत हैं।बुंदेलखंड में डीन पदस्थ डॉ पीएस ठाकुर अभी आना नहीं चाहते।एचओडी मेडिसीन डॉ वीपी पांडे का भी दावा मजबूत है।एमवायएच में रेडियोलॉजी विभाग हेड डॉ राकेश विजयवर्गीय भी इस पद के लिये प्रयासरत हैं।एमजीएम से अन्यत्र पदस्थ रतलाम मेडिकल कॉलेज डीन डॉ अनिता मूथा और मंदसौर में डीन पदस्थ डॉ शशि गांधी भी इस दौड़ में शामिल हैं।
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कुछ तो बात है….
मुख्यमंत्री और नंबर टू माने जाने वाले मंत्री विजयवर्गीय के बीच कुछ तो खटर-पटर चल रही है।अब तक हुई केबिनेट की बैठकों में विजयवर्गीय शामिल ही नहीं हो पाए।वो बैठक में रहे नहीं तो ब्रीफिंग का काम उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने ही सम्हाल रखा है।कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नागपुर क्षेत्र की 12 सीटों की जिम्मेदारी के चलते वो टाइम नहीं निकाल पा रहे हैं। जबकि संबंध निभाने के मामले में विजयवर्गीय कितने सजग रहते हैं यह सब जानते हैं।
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ताई वाली परंपरा स्वाति ने संभाली
लगातार आठ बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन ताई हर साल पत्रकारों को भाई दूज भोज पर आमंत्रित करती थीं। ताई अब उतनी सक्रिय नहीं हैं लिहाजा भोज वाली वह परंपरा स्वाति युवराज काशिद ने पिछले साल से शुरु कर दी। अब चूंकि वो अभा महिला मराठी महासंघ की अध्यक्ष भी निर्वाचित हो गई हैं तो इस बार यह भोज भी एक तरह से शक्ति प्रदर्शन बन गया।
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