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ढोल-ढमाके से निकाला गया गुंडा जुलूस विवादों में, एक एसआई समेत दो पुलिसकर्मियों को करना पड़ा सस्पेंड


उज्जैन - शुक्रवार को उज्जैन में पुलिस ने अपराधियों का जुलूस निकाला था, जो पुलिस की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े कर गया। ये मामला पुलिस के गले की हड्डी इसलिए भी बन गया क्योंकि पुलिस ने इस जुलूस में ऐसे लोगों को सम्मिलित कर लिया था, जो लिस्टेड बदमाश नहीं थे। पुलिस से इससे भी बड़ी गलती ये हुई कि पुलिस ने इस जुलूस में एक ऐसे व्यक्ति को भी शामिल कर लिया, जो सत्ताधारी पार्टी से होने के साथ साथ वर्तमान में पार्टी में मंडल स्तर पर दायित्व भी संभाल रहा है। बूथ अध्यक्ष विकास करपरिया का कहना था कि पुलिस ने उन्हें विवाद के एक मामले में साइन करने के लिए बुलाया था, लेकिन बाद में कोतवाली थाने से ले जाकर गुंडा जुलूस में शामिल करवा दिया। आपको बतादें कि पारिवारिक विवाद के चलते थाना कोतवाली में उनके परिजनों द्वारा एफआईआर करवाई गई थी, जिसके लिए कोर्ट में केस चल रहा है। इस वजह से विकास को थाना कोतवाली बुलाया गया था, जहां से गुंडा जूलूस में भेज दिया गया।
भाजपा संगठन से शिकायत
गुंडा जुलूस से छूटते ही बूथ अध्यक्ष विकास करपरिया ने भारतीय जनता पार्टी संगठन के जिम्मेदारों के सामने अपनी बात रखी। जिसके बाद पार्टी नेताओं ने पुलिस के आला अधिकारियों से चर्चाकर पूरी बात बताई। पुलिस अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को भांपते हुए एक एसआई समेत दो पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया।
पीड़ित ने कहा करेगा आत्म दहन
पीड़ित विकास करपरिया का आरोप था कि पुलिस ने उसे कुछ कहने का मौका तक नहीं दिया, सीधे लेजाकर गुंडा जुलूस में खड़ा कर दिया। विकास ने बताया कि 8 तारीख को मैं मेरी बेटी की पेरेंट्स मीटिंग में गया हुआ था, जो कि थाना कोतवाली के जस्ट पीछे है। तभी थाने से जवान आत्माराम जी परमार का फोन आया। उन्होंने बोला कि पुराने कुछ मामलों को लेकर थाने पर आपको कुछ सिग्नेचर करना है,, तो मैं शाम को थाने गया। थाने जाते ही मेरा मोबाइल छीन लिया गया, मुझे परिचय देने का मौका भी नहीं दिया कि मैं संगठन का कार्य करता हूं, रूलिंग पार्टी का कार्य करता हूं, भाजपा का सक्रिय सदस्य हूं। पुलिस ने महाकाल थाना के कोट मोहल्ला चौराहे पर जो अपराधी थे, उनके साथ जुलूस में मुझे शरीक कर लिया। विकास का कहना था कि पुलिस प्रशासन अच्छा काम कर रहा है, लेकिन इस प्रकार से आप सज्जन व्यक्तियों का, पारिवारिक व्यक्तियों का, संगठन कार्यकर्ताओं का जुलूस निकलोगे तो यह गलत है। अगर पुलिस प्रशासन उन अपराधी पुलिस वालों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध नहीं करता, तो मैं आत्म दहन करने के लिए तैयार हूं और मानहांिन का दावा भी लगाउंगा।
इन पर गिरी गाज
मामले का खुलासा होने के बाद अभी तो पुलिस ने एक एसआई बबलेश कुमार, प्रधान आरक्षक तरूण पाल और आत्माराम परमार को दोषी मानते हुए लाइन हाजिर कर दिया है। पुलिस भी इस बात को मान रही है कि विकास लिस्टेड बदमाश नहीं था, उस पर जो मामले दर्ज हैं, उस बात के लिए उसे गुंडा जुलूस का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए था।
क्या आमजन के साथ भी खड़ा है संगठन
सूत्र बताते हैं कि इस गुंडा जुलूस में सम्मिलित होने वाला विकास ही अकेला ऐसा व्यक्ति नहीं था, जिसे पुलिस ने जबरिया जुलूस का हिस्सा बनाया था। विकास के अलावा जयसिंहपुरा निवासी रमेशचंद्र माली ने भी एक वीडियो जारी करते हुए आरोप लगाया है कि मेरा काई आपराधिक रिकार्ड नहीं है, फिर भी पुलिस ने मेरा जुलूूस निकाला। कोट मोहल्ला निवासी अक्षय के पिता का भी आरोप है कि उसका बेटा महाकाल के बाहर लोगों को चंदन का तिलक लगाता है, पुलिस ने उसे भी पकड़ लिया और गुंडा जुलूस का हिस्सा बना दिया। ऐसे ही एक मामले में आरोपी पुत्र के न मिलने पर उसके पिता को उठा लाई और जुलूस के साथ सडक पर घुमाया। इनके अलावा एक आरोपी सचिन का भी नाम सामने आया है, जो महाकाल में फूल प्रसादी की दुकान लगाता है। पुलिस ने उसे 151 में अंदर किया था और उसे भी लिस्टेड बदमाशों के साथ गुंडा जुलूस का हिस्सा बनाकर सड़कों पर घुमाया गया। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या इन लोगों के लिए भी भाजपा संगठन पुलिस प्रशासन से उसी तरह लड़ाई लड़ेगा, जैसे अपने साथी के लिए लड़ रहा है।
रविदास मंडल ने पुलिस को सौंपा ज्ञापन
उज्जैन में गुंडे-बदमाशों के जुलूस निकालने को लेकर रविदास मंडल ने एडिशनल एसपी को ज्ञापन सौंपा। जिसमें गुंडे बदमाशों के साथ भाजपा नेता का जुलूस निकालने वाले तीनों पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने की मांग की गई है। ज्ञापन में कहा है कि पुलिस ने समाजसेवी विकास करपरिया और बूथ अध्यक्ष विमल करपरिया को फोन से थाने बुलाया था। जहां उन्हें अपशब्द कहे गए। इसके बाद गुंडा अभियान की आड़ में अन्य बदमाशों के साथ उनका जुलूस निकाला गया। मामले में जुलूस निकालने वाले तीनों पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए।
विधायक बोले
पुलिस ने कुछ नासमझी के कारण एक कार्यकर्ता को, जो कि उसके पास ना कभी चाकू चलाया गया, ना कुछ चलाया गया, उसका जुलूस निकाला। हमने सख्ती से पुलिस प्रशासन से बात की और जिन्होंने यह कृत्य किया, उनको सस्पेंड कर दिया।
एएसपी ने कहा कोई जुलूस नहीं निकला
एएसपी नितेश भार्गव पहले दिन से एक ही बात कह रहे हैं कि पुलिस ने किसी का भी जुलूस नहीं निकाला, सिर्फ गुंडा तत्वों को बुलाकर पूछताछ की गई। डोजियर भरवाने और सामान्य पूछताछ के बाद उन्हें सकुशल घर भेज दिया गया था।
अब सवाल ये उठता है कि जब पुलिस ने कोई जुलूस नहीं निकाला, तो ये फोटो वीडियो किसके हैं, उससे भी बड़ी बात तो है कि बिना किसी दोष के तीन पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई क्यों की गई ? क्यों उन्हें लाइन हाजिर किया गया ?

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