रोजाना जल प्रदाय में नाकाम अधिकारियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई हो
संदीप कुलश्रेष्ठ
उज्जैन शहर में रोजाना जलप्रदाय होता है। किन्तु पिछले सप्ताह लगातार दो दिन तक पूरे शहर में जल प्रदाय ही नहीं हो पाया। तीसरे दिन जब जल प्रदाय किया गया वह अनेक मोहल्लों में मटमैला और दुर्गन्धयुक्त था। आम जन में नगर निगम के प्रति काफी नाराजगी होने पर गंभीर डेम एवं गऊघाट प्लांट प्रभारी राजीव शुक्ला और कन्ट्रोल रूम प्रभारी कमलेश कजोरिया को उनके वर्तमान दायित्व से हटाने के आदेश जारी किए गए। किन्तु उन्हें हटाना ही पर्याप्त नहीं है। रोजाना जल प्रदाय में नाकाम सिद्ध हो चुके दोषी अधिकारियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की ही जानी चाहिए।
महापौर और निगम अध्यक्ष ने बैठक ली -
शहर में लगातार दो दिन तक जल प्रदाय नहीं होने पर नगर निगम महापौर श्री मुकेश टटवाल और नगर निगम अध्यक्ष श्रीमती कलावती यादव द्वारा हाल ही में गऊघाट फील्टर प्लांट पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारी की समीक्षा बैठक ली गई। इस बैठक में दोनों ने पीएचई अधिकारियों पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जब यह तय हो गया है कि रोजाना पूरे शहर में पूरी क्षमता के साथ जल प्रदाय किया जाना है। इसके बावजूद बार-बार जल प्रदाय व्यवस्था बाधित क्यों हो रही है। इससे शहरवासियों को पेयजल समस्या से रूबरू होना पड़ रहा है। दोनों ने कहा कि पीएचई विभाग का मुख्य दायित्व नगर में पेयजल प्रदाय करना ही है। इसके बावजूद बार-बार स्थिति बिगड़ रही है। यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
रोजाना जलप्रदाय हो -
महापौर और निगम अध्यक्ष ने पीएचई अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि शहर में अब नियमित रूप से जल प्रदाय किया जाए। इसमें किसी भी दशा में जल प्रदाय व्यवस्था बाधित नहीं होना चाहिए। इसके बावजूद लापरवाही करने वालों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी भी उन्होंने दी।
जाँच रिपोर्ट जल्दी देने के निर्देश -
गंभीर डेम इंटेकवेल के पैनल रूम में वाटर सप्लाय कन्ट्रोल पैनल में रविवार को हुए फाल्ट की जाँच करने के लिए निगम आयुक्त द्वारा समिति गठित की गई है। महापौर और निगम अध्यक्ष ने उसकी जाँच रिपोर्ट जल्द ही पूरी करने और उसे जल्द ही प्रस्तुत के निर्देश दिए। जाँच रिपोर्ट के आधार पर दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई की जाने की भी उन्होंने चेतावनी दी।
30 साल पुरानी मशीनें बदले -
समीक्षा बैठक कर लेना ही पर्याप्त नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार नगर निगम को यह भी ध्यान देना बहुत जरूरी है कि जल प्रदाय में मुख्य रूप से प्रयोग आने वाली सभी मशीनें लगभग 30 साल पुरानी हो चुकी है। इसको बदलने की कोई ठोस कार्रवाई अभी तक नहीं की गई है। सामान्यतः 10-15 साल में यह मशीन बदली जाती है। जल प्रदाय में मुख्य मशीन केवल एक ही है। जबकि वैकल्पिक स्थिति में एक और मशीन होना जरूरी है। जबकि दूसरी मशीन नहीं है। इसी कारण बार-बार पेयजल व्यवस्था गड़बड़ा जाती है। इस पर ध्यान देने और ठोस कार्रवाई करने की सख्त आवश्यकता है।
सिचांई के लिए पूर्ण प्रतिबंध हो -
उज्जैन शहर में जल प्रदाय का मुख्य स्त्रोत गंभीर डैम है। यह 1992 में बनाया गया था। इस तालाब के आसपास के गाँवों में तालाब से लगी किसानों की जमीन भी है। वर्तमान में गंभीर डैम से सिंचाई हेतु पानी लेना प्रतिबंधित है। किन्तु यह सिर्फ कागजों में है। खुलेआम इसका घोर उल्लंघन हो रहा है। इस पर सख्त प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही जिला प्रशासन को यह भी करना चाहिए कि तालाब से लगी जिन किसानों की जमीन हो, उन्हें उनका खुद का सिंचाई का स्त्रौत विकसित करने के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं से उन्हें लाभान्वित किया जाना चाहिए। जब उनके पास खुद का सिंचाई साधन उपलब्ध होगा तो वे भी पानी की चोरी नहीं करेंगे। इस पर कलेक्टर को गंभीरता से विस्तृत ठोस कार्य योजना बनाकर उसे क्रियान्वित करना चाहिए।
गंभीर डैम का गहरीकरण हो -
जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान थे, तब करीब 10 साल पहले उनकी पहल पर गंभीर डैम के गहरीकरण की ठोस कार्रवाई की गई थी। शहर की बढ़ती आबादी को देखते हुए वर्तमान में गंभीर डैम की क्षमता पर्याप्त नहीं है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उज्जैन के ही है। इसलिए भी उनसे शहरवासियों की अपेक्षा है कि वे एक बार फिर तालाब का गहरीकरण कराने की ठोस पहल करेंगे। इसके लिए सुनियोजित ठोस योजना बनाकर जनभागीदारी के साथ गर्मी के दिनों में तालाब का गहरीकरण किया जाना चाहिए। यह गहरीकरण कम से कम दो माह चलना चाहिए। इसमें जनभागीदारी के साथ ही मशीनों का भी भरपूर प्रयोग किया जाना चाहिए। तालाब से निकलने वाली मिट्टी को किसानों को निःशुल्क ले जाने की सुविधा भी दी जानी चाहिए। इससे वे अपने खेतों के लिए उपजाऊ मिट्टी भी प्राप्त कर लाभान्वित हो सकेंगे। और तालाब के गहरीकरण होने से गंभीर डैम की क्षमता भी बढ़ सकेगी।
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