ग्रहों के नक्षत्र बदलने से दिखेंगे प्रकृति में परिवर्तन
नवंबर का महीना ग्रह गोचर के लिहाज से बहुत ही अहम होने वाला है। ग्रह गोचर की दृष्टि एवं ग्रहों की वक्रत्व एवं मार्गी होने की स्थिति और उदय-अस्त होने की स्थिति के साथ-साथ नक्षत्र के बदलाव होने से अगले साढ़े तीन माह में अलग-अलग प्रकार के परिवर्तन होंगे। खासकर राहु-केतु के नक्षत्र परिवर्तन एवं शनि के मार्गी होने से प्राकृतिक परिवर्तन दिखाई देंगे। 10 नवंबर को रात्रि में राहु ग्रह का मीन राशि के अंतर्गत उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के दूसरे चरण में तो केतु का उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण में प्रवेश होगा। वहीं 15 नवंबर को शनि के मार्गी होने से शीतलता बढ़ेगी।
पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि, राहु और केतु को ग्रहों की मुख्य धारा में नहीं रखा गया है। इन्हें छाया ग्रह की संज्ञा दी गई है, किंतु जलवायु और मौसम के परिवर्तन में भी उनकी भूमिका प्रबल मानी जाती है। राहु वर्तमान में मीन राशि में गोचरस्थ है। जिसका अधिपति बृहस्पति है, जो पूर्व दिशा को प्रतिनिधित्व प्रदान करता है। केतु कन्या राशि में गोचरस्थ है, जो उत्तर दिशा की ओर प्रतिनिधित्व करता है। इससे पूर्वोत्तर दिशा में मौसम का बदलाव दिखाई देगा। उत्तरी भारत में ठंड की शुरुआत 10 नवंबर से शुरू हो जाएगी। हालांकि अन्य राज्यों में आंद्रता एवं चक्र की स्थिति के कारण दिन में गर्मी का अनुभव भी होगा। फिर भी पूर्वोत्तर भारत में ठंड की दस्तक शुरू हो जाएगी।