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आसमान से छलांग लगाकर लौटे एसपी ने कहा दरवाजा खुलते ही डर चरम पर होता है, उज्जैन में स्काई डाइविंग फेस्टिवल की हुई शुरूआत


उज्जैन - आसमान से गिरा, खजूर में अटका वाली कहावत तो आपने भी सुनी होगी, लेकिन उज्जैन में आसमान से गिराने के बाद खजूर पर नहीं अटकने दिया जा रहा, बल्कि आसमान से छलांग लगाने के बाद आप उस रोमांच का अनुभव कर सकेंगे, जिसके लिए आपको या तो विदेश में जाना पड़ता था या फिर किसी बड़े शहर का मुंह ताकना पड़ता था। दरअसल एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देने और प्रदेश में पर्यटन गतिविधियों में विविधता लाने के उद्देश्य से एमपी टूरिज्म बोर्ड द्वारा उज्जैन में लगातार चौथे साल स्काई डाइविंग फेस्टिवल आयोजित किया गया, जिसकी शुरूआत 9 नवम्बर को हुई। स्काई डाइविंग के चौथे सीजन के पहले जम्पर पुलिस अधीक्षक ने 10 हजार फीट की उंचाई से छलांग लगाई और पैराशूट की मदद से जमीन पर उतरे।
ऐसे होती है डाइव
स्काई डाइविंग के लिए आने वाले कस्टमर को विमान में बैठाकर 10 हजार फीट की उंचाई पर ले जाया जाता और वहां से जम्प करवाकर आसमान और जमीन के बीच रोमांचकारी सैर करवाई जाती है। इसमें पहले 5 हजार फीट तो व्यक्ति पत्थर की तरह गुरूत्वाकर्षण बल की गति से नीचे आता है, लेकिन उसके बाद के 5 हजार फीट की दूरी पैराशूट से किसी पक्षी की तरह पूरी होती है। स्काई डाइविंग करने वाले जब 10 हजार फीट की उंचाई से शहर को निहारते हैं, तो उसकी बात ही अलग होती है।
पहले दिन की बुकिंग वाले पहुंचे
स्काई डाइविंग के प्रति लोगों में उत्साह इतना है कि इसकी शुरूआत से पहले ही 100 डाइविंग की बुकिंग हो गई थी। शनिवार को पहले दिन की बुकिंग करवाकर बैंगलोर से आई गरिमा ने बताया कि उन्होंने पहले कभी स्काई डाइविंग नहीं की, ये उनके लिए काफी रोमांचकारी क्षण होगा। गरिमा की तरह और कई कस्टमर अपनी डाइविंग का मजा लेने के लिए दताना एयर स्ट्रिप पर पहुंच गए थे। लेकिन सबसे पहली डाइव उज्जैन एसपी ने लगाई।
अनुभव शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता
उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने स्काई डाइविंग के बाद सबसे पहले तो इस आयोजन के लिए प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव का आभार माना और बताया कि जैसे जैसे प्लेन की हाइट बढ़ती है, डर बढ़ता है, जब दरवाजा खुलता है तो डर अपने चरम पर होता है। कूदने के बाद पांच-दस सैकेंड का जो अनुभव हैं, वो मेरे जीवन के सबसे सुखद अनुभव है।
परिजनों में भी रहता है उत्साह
अपने परिवार के सदस्य को आसमान में उड़ते हुए जमीन तक आता देख परिजनों की भी सांसे थमीं की थमीं रह जाती हैं। कई लोग तो डर के मारे ऊपर तक नहीं देखते और कई तो हर सैकेण्ड भगवान से प्रार्थना करने में जुटे दिखाई देते हैं।
पहली बार मिला तीन माह का समय
संस्था स्काय हाई के को-फाउंडर दिग्विजय सिंह ने बताया कि इसके पहले वे 10 से 12 दिनों के लिए कैंप लगा चुके हैं। ये पहला मौका है, जब प्रदेश सरकार के टूरिज्म डिपार्डमेंट ने उन्हें तीन महीने का समय यहां पर स्काई डाइविंग के लिए दिया है। इसमें नवम्बर माह के लिए 100 जम्प की बुकिंग भी हो चुकी है।
सुरक्षा का रखा जाता है पूरा ध्यान
स्काई डाइविंग के लिए आने वालों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है। उन्हें किसी तरह की परेशानी ना हो, इसके लिए कंपनी के टेªनर उनके साथ रहते हैं, जिनके मार्गदर्शन में स्काई डाइविंग करवाई जाती है। स्काय हाई के को-फाउंडर दिग्विजय सिंह बताते हैं कि वैसे तो उनकी क्षमता रोजाना 20 डाइव की है, लेकिन अभी मौसम और हवा की गति को देखते हुए रोजाना 12 से 15 जम्प का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यदि मौसम अनूकूल रहता है तो रोज 18 से 20 जम्प तक करवाई जा सकती है।
एक जम्प की कीमत 30 हजार
यदि आप भी आसमान की सैर का अनुभव करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको एक मोटी रकम अदा करनी होगी। जी हां, स्काय हाई कंपनी ने इस रोमांचकारी डाइव के लिए 30 हजार रूपए की राशि तय की है, जिसे चुकाने के बाद ही आप इस ऐडवेंचर का मजा उठा सकते हैं। स्काई डाइविंग की बुकिंग ऑनलाइन की जा सकती है।
आमजनों की पहुंच से बाहर का खेल
शायद ही ऐसा कोई होगा, जिसे आसमान में उड़ना पसंद न हो। लेकिन इस रोमांचकारी खेल के लिए स्काय हाई कपंनी ने जो शुल्क निर्धारित किया है, वो आमजन की पहुंच से कोसों दूर है। 30 हजार के शुल्क में तो यहां डाइविंग के लिए आने वाले भी खास लोग ही होंगे। क्योंकि इतना खर्च वहन कर पाना आमजनों के बस की बात नहीं है।

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