श्री महाकालेश्वर मंदिर गौशाला में गोवर्धन पूजा
उज्जैन - धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान इंद्र ने बृजवासियों से नाराज होकर सात दिनों तक मूसलाधार बारिश की थी। उस वक्त भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर बृजवासियों को बचाया था। पर्वत के नीचे भगवान श्रीकृष्ण ने सभी को सुरक्षा प्रदान की थी। तभी से भगवान श्रीकृष्ण को गोवर्धन के रूप में पूजा जाता है। गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का निर्माण किया जाता है। इस पर्वत पर अन्न, खीर, लावा, चीनी की मिठाईयां आदि चढ़ाई जाती है। गोवर्धन पूजन के माध्यम से प्रकृति संरक्षण का भी संदेश दिया। इस धार्मिक परम्परा का निर्वहन करते हुए श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति द्वारा संचालित चिंतामण-जवासिया गौशाला में शुक्रवार को गोवर्धन पूजन विधि विधान से की गई। ये पूजन महाकालेश्वर मंदिर की महिला कर्मचारियों द्वारा किया गया। गोवर्धन के पूजन से बाद वर्षों से चली आ रही परम्परा का निर्वहन करते हुए गोवर्धन के ऊपर से गौ माताओं को चलाया गया।
गौशाला प्रभारी गोपाल सिंह कुशवाह ने बताया कि समस्त गौ माताओं को मोरपंख, मेहंदी आदि से सजाया गया है। मंदिर समिति के सहायक प्रशासक द्वारा गौ माता का पूजन किया गया। मंदिर प्रबंध समिति की गौशाला में आसपास के लोगों भी गोवर्धन पूजा के लिए पहुंचे। इस अवसर पर मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल, प्रभारी निदेशक डॉ. पीयूष त्रिपाठी, श्रीमती यशोदा शर्मा व मंदिर प्रबंध समिति के अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।