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दिवाली पर गजलक्ष्मी मंदिर में सुबह चार घंटे होगा दुग्धाभिषेक


उज्जैन की प्राचीन मां गजलक्ष्मी मंदिर में दिवाली के मौके पर गुरुवार सुबह 7 से 11बजे तक मां लक्ष्मी का दुग्धाभिषेक होगा। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दुग्धाभिषेक के लिए पहुंचते है। सुबह दुग्धाभिषेक के बाद दोपहर 12 बजे अभिजीत मुहूर्त में मां लक्ष्मी की आरती होगी। माता का श्रृंगार के बाद शाम 4 बजे से रात 2 बजे तक महा नैवेद्य लगाया जाएगा। रात्रि में ही आरती होगी।

मान्यता है कि गज लक्ष्मी का मंदिर करीब दो हजार साल पुराना है। यहां राजा विक्रमादित्य राजलक्ष्मी के रूप में इनकी पूजा करते थे। पुराने शहर के नई पेठ स्थित मां गजलक्ष्मी मंदिर में गुरुवार को दीपावली पर्व के अवसर पर सुबह से ही मां लक्ष्मी का दूध से अभिषेक करने के लिए श्रद्धालु मंदिर पहुंचेंगे।

मंदिर के पुजारी अवधेश शर्मा ने बताया कि सुबह 7 से 11 बजे तक श्रद्धालु अपने हाथों से मां लक्ष्मी का दुग्धाभिषेक करेंगे। शाम 4 बजे से माता लक्ष्मी का सोलह श्रृंगार कर महा नैवेद्य का भोग अर्पित होगा। दीपावली की रात 2 बजे तक माता के दर्शन होगें। इसके बाद सुहाग पंडवा के पूजन की तैयारी शुरू होगी। लक्ष्मी पूजन के बाद संध्या से देर रात्रि तक श्रद्धालु लक्ष्मी माता के दर्शन के लिए पहुंचते है। दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु यहां पर कमल का फूल चढ़ाकर मनोकामना मांगते है।

गज लक्ष्मी के साथ विष्णु की दुर्लभ प्रतिमा भी विराजित

मंदिर के पुजारी अवधेश शर्मा ने बताया कि मंदिर में मां गजलक्ष्मी के साथ ही भगवान विष्णु की दुर्लभ प्रतिमा भी है। यह प्रतिमा अति प्राचीन है। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु के छोटे-छोटे रूप में 24 अवतारों का वर्णन है। मंदिर आने वाले लोग भगवान विष्णु के भी दर्शन करते है। मां गजलक्ष्मी मंदिर दो हजार साल पुराना है। इस मंदिर में मां लक्ष्मी सफेद हाथी पर बैठी है। देश के किसी मंदिर में ऐसा नही है। माना जाता है कि माता गजलक्ष्मी को विक्रमादित्य अपनी राजलक्ष्मी मानकर पूजन करते थे।

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