शरीर में आयोडीन की आवश्यक मात्रा का होना जरूरी आयोडीनयुक्त नमक का सेवन आवश्यक 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन दिवस मनाया जायेगा
उज्जैन- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.अशोक कुमार पटेल ने बताया कि
प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन दिवस मनाया जाता है। साधारण नमक में आयोडीन की कमी को
रोकने के लिये थोड़ा-सा आयोडीन मिला देते हैं। इससे नमक के स्वाद व रंग रूप में कोई अंतर नहीं आता है,
परन्तु आयोडीन की कमी से होने वाले बहुत सारे रोगों को रोका जा सकता है। हम प्रतिदिन 10 से 15 ग्राम
नमक का सेवन नियमित रूप से करते हैं। यदि नमक में ही आयोडीन मिला दिया जाता है तो वह हमारे शरीर
में आयोडीन की कमी को पूरा कर देता है। हमारे शरीर में अनेक ग्रंथियां होती हैं, जिनके अपने कार्य होते हैं।
गले में थाईराईट नामक ग्रंथी होती है। इसका काम हमारे शरीर में जीवन तरल रस भेजना है। इसे बनाने के
लिये आयोडीन की आवश्यक मात्रा का होना जरूरी है। आयोडीन की यह पूर्ति साधारणतः भोजन व पानी से हो
जाती है। यदि किसी कारण से यह पूर्ति नहीं हो पाती है तो शरीर की इस जरूरत को पूरी करने के लिये
थाईराईट ग्रंथी को बड़ा होकर यह कार्य करना होता है, जिस कारण यह ग्रंथी बढ़कर गले में विकृति पैदा कर
देती है, जिसे घेंघा रोग कहा जाता है। पूरे जीवनकाल में कभी भी आयोडीन की कमी हो सकती है। अतः
आयोडीनयुक्त नमक का सेवन अवश्य करें।
आयोडीन की कमी से होने वाली मुख्य बीमारियां
घेंघा, मानसिक विकृति, बेहरापन, गुंगापन, भेंगापन, ठीक से खड़े होने व चलने में कठिनाई, साथ ही
शारीरिक विकास में रूकावट इस प्रकार से कई प्रकार की कमियां आयोडीनयुक्त नमक का सेवन नहीं करने पर
हो सकती है। इनमें से किसी भी बीमारी का उपचार सामान्यतः साधारण तरीके से नहीं हो पाता है। सिर्फ
आयोडीनयुक्त नमक का सेवन करके ही इन बीमारियों को रोका जा सकता है।
आयोडीन एक प्राकृतिक तत्व है जो हमारे जीवन के लिये जरूरी है। हमारे शरीर की कुछ महत्वपूर्ण
क्रियाएं आयोडीन पर निर्भर है। आयोडीन शरीर व मस्तिष्क की सही वृद्धि, विकास व संचालन के लिये
आवश्यक है। गर्भवती स्त्री के शरीर मे आयोडीन की कमी होने पर गर्भपात का खतरा, बच्चे का मृत पैदा होना,
शारीरिक व मानसिक रूप से विकृत बच्चे का पैदा होना या बच्चे का बोना रहना।