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जात-पात ने समाज और राष्ट्र का नुकसान किया


उज्जैन | राजतिलक के समय बाबा रामदेव जी ने जाति-पाती विहीन शासन की स्थापना का संकल्प लिया था। उनका मानना था कि जाति और नाम से कोई बड़ा नही होता, कर्म ही व्यक्ति को वंदनीय बनाते हैं। रामदेव ने 14वीं शताब्दी में ही मान लिया था कि जातीयता से निकलेंगे तभी हिंदुत्व बचेगा। जात-पात ने समाज और राष्ट्र का बहुत नुकसान किया है।

यह बात बाबा मूलयोगी राज महाराज ने हीरा मिल रोड स्थित मनोरमा गार्डन में आयोजित बाबा रामदेव जी की तीसरे दिन की कथा में कही। महाराजश्री ने बाबा के बाल्यकाल से लेकर राजा बनने तक की यात्रा का संगीतमय वर्णन किया। उन्होंने कहा जाति-जाति करके हमने न केवल अपने धर्म को कमजोर किया है अपितु अखंड राष्ट्र की कल्पना के मार्ग को साकार नही होने दिया। मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद बालयोगी उमेशनाथ महाराज ने कहा बाबा रामदेव के साथ पांच पीरों की भी बड़ी महिमा है। योगी नर्मदानाथ महाराज ने भी विचार व्यक्त किए। कथा के पूर्व व्यास पीठ एवं बाबा रामदेव की पोथी का पूजन-अर्चन महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद पुरी महाराज और महापौर मुकेश टटवाल ने किया। कथा में नगर निगम के पूर्व सभापति प्रकाश चित्तौड़ा, अनंतनारायण मीणा, सत्यनारायण पंवार, ब्रह्माकुमारी प्रतिभा दीदी, लक्ष्मी दीदी का सम्मान किया गया। कथा में प्रमुख रूप से जयप्रकाश जूनवाल, पीएल टटवाल, ओमप्रकाश मोहने, शिवेंद्र तिवारी, प्रकाश शर्मा, सत्यनारायण चौहान, डॉ. योगेश्वरी राठौर, कैलाश प्रजापत, रजत मेहता, पवन गेहलोद, राधेश्याम वर्मा, भगवान दास गिरि, विजय सिंह कुशवाह सहित श्रद्धालु मौजूद थे।

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