जाम..बड़ी परेशानी:ई-रिक्शा संचालकों का न ड्रेस कोड, न क्षेत्र तय और न ही मॉनीटरिंग, यह जरूरी
शहर में आम दिनों में ही जाम से निजात नहीं मिल पा रही है। जाम को लेकर सबका अपना दर्द है लेकिन सुधार कुछ नहीं हो पा रहा।
जाम की मुख्य वजह संकरे मार्ग, वन-वे का पालन नहीं होना है ही लेकिन एक बड़ा कारण लोक परिवहन के वाहनों का नियमानुसार शहर में संचालन नहीं हो पाना भी है। इससे पूरे शहर की यातायात व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। ई-रिक्शा संचालक व लोगों के अनुसार जानिए... व्यवस्था क्यों व कैसे बिगड़ रही और सुधार कैसे हो सकता है।
नियम : प्रशासन ने दो शिफ्ट में 6 हजार गाड़ी के हिसाब से 3 हजार रात व 3 हजार दिन में ई-रिक्शा के संचालन की व्यवस्था बनाई। आरटीओ, नगर निगम व यातायात पुलिस ने तय किया कि लाल पट्टी वाले ई-रिक्शा दिन के 3 बजे से रात 3 बजे तक चलेंगे। जबकि पीले पट्टे वाले रात 3 बजे से दोपहर 3 बजे तक पूरे शहर में चल सकते हैं। समस्या : ये व्यवस्था तो बना दी लेकिन हो ये रहा है कि कुछ नियम का पालन कर रहे हैं। कई इसे तोड़कर बिना शिफ्ट में भी वाहन चला रहे हैं। पकड़े जाने पर ये 300 से 500 रुपए देकर छूट जाते हैं। नियम : शहर में बाहर के अर्थात अन्य जिलों के ई-रिक्शा नहीं चल सकते लेकिन देवास व इंदौर पासिंग ई-रिक्शा तक दौड़ रहे हैं व प्रतिदिन यात्री बैठाकर उज्जैन दर्शन से लेकर सभी जगह जा रहे हैं। जबकि ई-रिक्शा की शहरी सीमा तय है। समस्या : दीगर जिलों के ई-रिक्शा चलने से यहां ई-रिक्शा की संख्या बढ़ रही है व संचालकों के बीच अनबन हो रही है। इससे यातायात पर भी असर पड़ रहा है।
जल्द बैठक बुलवाते हैं ^शहर की यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए जल्द ही शहर के लोगों के साथ बातचीत कर उसने सुझाव लेंगे। इसके लिए बैठक बुलाने की तैयारी की जा रही है। - प्रदीप शर्मा, एसपी
ये होना जरूरी, ताकि जाम न लगे न अव्यवस्था फैले 1. ई-रिक्शा संचालन 12-12 घंटे की शिफ्ट में तय किया है तो इसकी प्रॉपर मॉनीटरिंग के साथ पालन हो। नहीं तो व्यवस्था जोन अनुसार बांटी जाए । 2. लोक परिवहन के जितने वाहन चल रहे हैं, उन्हें लेकर ड्रेसकोड, किराया सूची से लेकर स्टॉप पाइंट तक निर्धारित हो व पालन भी कराया जाए। हर कहीं भी ई-रिक्शा नहीं रुके, जिससे कि जाम न लगे। 3. धार्मिक स्थल के समीप सवारी उतारने के बाद ई-रिक्शा कहां खड़े होंगे, जगह फिक्स हो, ताकि मुख्य मार्ग बाधित न हो। उदाहरण महाकाल घाटी पर इस कारण जाम लग रहा है। सांदीपनि आश्रम के गेट के सामने ही कई गाड़ियां खड़ी रहती हैं।
तीनों एजेंसी को मिल ठोस प्लानिंग करना जरूरी उज्जैन धार्मिक शहर है। यहां ट्रैफिक बड़ा मुद्दा है, क्योंकि सालभर ही भीड़ भरी स्थिति बनी रहती है। श्रावण, नागपंचमी, महाकाल सवारी के साथ अब महाकाल लोक भी बनने से शहर पर यातायात का दबाव बढ़ा है। साथ में पूरे साल वीआईपी मूवमेंट भी है। सबसे पहले जिन मार्गों पर ट्रैफिक वॉल्यूम ज्यादा है, उसे लेकर आरटीओ, यातायात व नगर निगम तीनों एजेंसी को मिलकर ठोस प्लानिंग व क्रियान्वयन करने की आवश्यकता है, तब कुछ संभव है। -एचएन बाथम, तत्कालीन डीएसपी ट्रैफिक शहर व वर्तमान एएसपी ट्रैफिक देवास