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बदल गया महाकाल के लड्डू प्रसाद का पैकेट, शिखर और ओम की बजाए लड्डू और पुष्प दे रहे दिखाई


उज्जैन - इंदौर हाईकोर्ट के आदेश के बाद भगवान महाकाल के लड्डू प्रसाद पैकेट से मंदिर के शिखर व ओम चित्र को हटा दिया गया है। कुछ दिनों पहले श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने बैठक में प्रसाद के पैकेट की डिजाइन में करेक्शन के निर्देश भी दिए हैं, लेकिन कोर्ट के आदेश को मानते हुए अभी नए पैकेट में प्रसाद दिया जाने लगा है। 
     महाकाल मंदिर से दिया जाने वाला लड्डू प्रसाद देश विदेश तक जाता है। अभी जो लड्डू प्रसाद का पैकेट दिया जा रहा था उस पर महाकाल मंदिर के शिखर का फोटो होने पर इसमें आपत्ति दर्ज करवाई गई थी। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने इसी साल 24 अप्रैल को अपने एक आदेश में महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को 90 दिन यानी तीन माह में प्रसाद के पैकेट से शिखर और ओम का चित्र हटाने के आदेश दिए थे। जिस पर मंदिर समिति ने कोर्ट से कुछ समय मांगते हुए निवेदन किया था कि पुराने पैकेट का स्टॉक खत्म होते ही, नए पैकेट से दोनों चित्र हटवा दिए जाएंगे। इस पर मिलि सहमति और कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने अब नए पैकेट में प्रसाद देना आरंभ कर दिया है। पिछले दिनों हुई बैठक में मंदिर समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर नीरज सिंह ने नए पैकेट की डिजाइन में करेक्शन के निर्देश दिए हैं। जिससे माना जा रहा है कि अगली बार जो पैकेट छपेंगे उनकी डिजाइन में और भी बदलाव देखने को मिलेगा।
अब लड्डू और फूल दे रहे दिखाई
    महाकाल मंदिर के लड्डू प्रसाद का जो नया पैकेट आया है, उसमें शिखर व ओम के स्थान पर लड्डू और फूल दिखाई दे रहे हैं। वैसे देखने में ये चित्र अच्छा लग रहा है, लेकिन जल्द ही इसमें भी बदलाव होने की संभावना है। इसके बाद जो नई डिजाइन फाइनल होगी, वो ही लड्डू प्रसाद के पैकेट में देखने को मिलेगी।
ये रहा पैकेट में बदलाव का कारण
    आपको बता दें कि 19 अप्रैल 2024 को श्री शंभु पंच अग्नि अखाड़ा के महंत सुखदेवानंद ब्रह्मचारी, श्रीमहंत योगानंद ब्रह्मचारी व अन्यजनों ने हाईकोर्ट इंदौर में एक याचिका लगाई थी। इसमें महाकाल मंदिर के लड्डू प्रसादी पैकेट पर महाकाल मंदिर का शिखर और ओम छापने को गलत बताते हुए इसे हटवाने की मांग की थी। कोर्ट में तर्क दिया गया कि माता वैष्णो देवी मंदिर और अमृतसर के गोल्डन टैम्पल के प्रसाद में भी कोई चित्र नहीं रहता। मंदिर अधिनियम में भी कहीं नहीं लिखा कि प्रसाद के डिब्बे को कैसे रिसाइकिल करेंगे। लोग खाली पैकेट डस्टबीन सहित कूड़े में फैंक देते हैं, जो धर्म के हिसाब से अनुचित है। ये विवाद कोर्ट पहुंचने पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने मंदिर समिति को तीन महीने में मामले का निराकरण करने के निर्देश दिए थे।

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