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हे महाकाल, आप ही रक्षा करना


महाकाल मंदिर कितना सुरक्षित ?

उज्जैन - दो दिन पहले महाकाल मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी के बाद, सुरक्षा बंदोबस्त कड़े किए जाना शासन प्रशासन की जिम्मेदारी है। मगर बड़ा सवाल ये है कि क्या सच में मंदिर सुरक्षित है। क्योंकि महाकाल मंदिर में किसी अपराधी को जाने के लिए ज्यादा परिश्रम की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि मंदिर के हालात बयां करते हैं। इस रिपोर्ट के जरिए आप भी डालिए एक नजर।
     वैसे तो एक आम दर्शनार्थी के लिए महाकाल मंदिर में प्रवेश करना नाकों चने चबाने जैसा है। यदि आपको यकीन न हो तो एक बार महाकाल मंदिर जाकर देख लें। इसी वजह से स्थानीय लोगों ने मंदिर से दूरी बना ली है, जो लोग नियमित मंदिर जाते हैं, उनका भी कहना है कि कई बार मंदिर में कर्मचारियों से उनका विवाद हो जाता है। लेकिन इसके विपरीत सिक्के का दूसरा पहलू भी है, जो कम ही लोगों को नजर आता है। महाकाल मंदिर में कोई तीज त्यौहार हो या आम दिन, यदि आपके पास तिल मात्र का भी रसूख है, तो आप बगैर रोकटोक मंदिर क्षेत्र में घूम सकते हैं। और तो और रोकटोक करने वाले लोग ही चाटुकारिता दिखाते हुए आपका सम्मान करते नजर आएंगे।

ये हैं खामियां
01 - मंदिर में प्रवेश के कई मार्ग - महाकाल मंदिर की सुरक्षा में सबसे बड़ी खामी या कमजोरी ये है कि मंदिर में प्रवेश के लिए कई सारे द्वार हैं। जिससे किसी भी गेट से मंदिर परिसर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। बड़ी बात तो है कि सुरक्षा की कमान संभाल रही क्रिस्टल कंपनी के कर्मचारी आने जाने वालों पर रोकटेक तक नहीं करते, क्योंकि उन्हें फोन चलाने, आसपी हंसी ठिठोली से ही फुर्सत नहीं मिलती।
02 - अवैध सेवा शुल्क - दूसरी बड़ी खामी यहां पर अवैधरूप से वसूली किया जाने वाला सेवा शुल्क है। जिससे बाहरी व्यक्ति चंद रूपयों के बल पर वीआईपी बनकर आसानी से मंदिर परिसर तक जा सकता है, न तो उसे कोई कर्मचारी रोक पाएगा और कोई अन्य। क्योंकि यहां ऐसे कई मामले उजागर हो चुके हैं, जिसमें श्रद्धालुओं से रूपए लेकर उन्हें भस्मारती, संध्या आरती या शयन आरती में भेजा जाता है। सूत्र बताते हैं कि इसके लिए जो सेवा शुल्क तय होता है, वो प्रसाद के रूप में सभी में थोड़ा थोड़ा बंटता है। पिछली बार तत्कालीन सुरक्षा अधिकारी एक मेडम भी इस मामले में फंस गईं थी, जिसके बाद उन्हें हटाया गया था। इसके अलावा भी महाकाल थाने में इससे संबंधित कई शिकायतें दर्ज हैं।
03 - जल्दी दर्शन शुल्क - जल्दी दर्शन के नाम पर भी महाकाल मंदिर के काउंटरों से जो सुविधा दी जाती है, वो भी सुरक्षा में चूक का एक हिस्सा है। क्योंकि वहां भी किसी के बारे में कोई जानकारी नहीं ली जाती, कोई भी व्यक्ति 250 या उससे अधिक की रसीद कटवाकर आसानी से मंदिर में प्रवेश कर सकता है। यहां भी खास ये है कि जल्दी दर्शन रसीद मिल जाने के बाद उस दर्शनार्थी को रोकटोक से मुक्ति मिल जाती है। आपको बता दें कि कुछ माह पहले कानपुर उत्तर प्रदेश से फरार एक कुख्यात आरोपी विकास दुबे आसानी से महाकाल मंदिर के भीतर तक पहुंच गया था। तब भी न तो उसे किसी ने रोका था और न टोका था।
04 - पुजारियों के नाम का दबदबा - महाकाल मंदिर में पुजारियों के नाम का अपना रसूख है। सूत्र बताते हैं कि मंदिर में नियमित होने वाली भस्मारती हो या कोई पर्व विशेष, पुजारी अपने मुख्य यजमानों को डंके की चोट पर भगवान के दर्शन करवाते हैं, जबकि दूसरी तरफ इसके लिए आम श्रद्धालु को कठिन परिश्रम करना पड़ता है। पुजारियों के चेले चपाटे भी बाहरी तौर पर सेटिंग के साथ श्रद्धालुओं को मंदिर में दर्शन करवाने के लिए ले जाते हैं और ये बात किसी से छिपी नहीं है।
05 - फूल वाले बगैर जांच रखते हैं सामान - मंदिर के बाहर फूल विक्रेता महाकाल मंदिर में दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का सामान जैस बेग, सूटकेस आदि चीजें बगैर किसी जांच पड़ताल के अपनी दुकानों में रख लेते हैं। देखा जाए तो ये किसी भी दुर्घटना को खुला निमंत्रण है। क्योंकि हारफूल की दुकानें भी महाकाल मंदिर का ही एक हिस्सा हैं।
06 - निर्माण कार्य - महाकाल मंदिर में जहां भी विकास के कार्य किए जा रहे हैं या जहां जहां पर निर्माण कार्य चल रहा है, वो स्थान पूरी तरह से खुले हुए है। ऐसे में वहां से भी आसानी से आना-जाना किया जा सकता है या वहां तक मानमनुहार से पहुंचा जा सकता है। वहां की सुरक्षा में लगे लोग भी ज्यादा फिक्र न करते हुए भगवान भरोसे ही रहते हैं।

सुरक्षा में कई बार हुई चूक
आपने फिल्मों, सिरियल्स में देखा होगा कि अपराधी मंहगे वाहनों में लाल पीली बत्ती या फिर कोई और रसूखदार तख्ती लगाकर घटना स्थल तक पहुंच जाते हैं। ऐसे दृश्य महाकाल मंदिर में कई बार देखे जा चुके हैं, जब लोग अपनी कार से महाकाल मंदिर के उस हिस्से तक पहुंच जाते हैं, जहां तक जाना प्रतिबंधित है। ताजा मामले की बात करें तो 9 अगस्त को नागपंचमी पर्व था। उस दिन दोपहर में देवास विधायक के पुत्र अपने दोस्तों के साथ चौपहिया वाहन में सवार हो मंदिर परिक्षेत्र में घुस आए थे। यदि मौके पर कलेक्टर एसपी ने उन्हें रोककर डांटा डपटा न होता, तो वे मंदिर में वहां तक चले जाते, जहां तक उनका वाहन जा सकता था। इससे पहले भी कई बार चारपहिया वाहन मंदिर तक जा चुके हैं।

मंदिर परिसर तक नहीं होती चेकिंग
वर्तमान युग आधुनिक तकनीक का युग है, ऐसे में कई तरह के ऐसे उपकरण हैं, जिन्हें किसी की समझ आए बगैर ही मंदिर तक ले जाया जा सकता है और वो किसी हादसे का सबब बन सकते हैं। क्योंकि मंदिर परिसर तक जाने के लिए तमाम गेट हैं। केवल मंदिर के भीतर जाने वालों की ही थोड़ी सघनता के साथ चेकिंग की जाती है, बाहर घूमने वालों पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता। जबिक उनकी भी चेकिंग की जाना चाहिए। यदि आप श्री महाकाल लोक में देखें तो कई लोग अपने कंधों पर बेग टांगे आपको वहां घूमते दिखाई पड़ जाएंगे।

सीसीटीवी से निगरानी 
महाकाल मंदिर में सीसीटीवी कैमरों का एक बड़ा जाल बिछा हुआ है, लेकिन दिनभर उन पर निगरानी नहीं हो पाती। क्योंकि यहां मॉनिटरिंग करने वाले कोई एक्सपर्ट नहीं बैठते। भगवान न करे, यदि कोई घटना दुर्घटना हो जाए, तो सीसीटीवी कैमरे बाद में बस जांच के लिहाज से ही काम में आते हैं। उन्हीं से मिले फुटैज के आधार पर अधिकारी कार्रवाई किए जाने के निर्देश जारी कर देते हैं। 

ये मिली है धमकी
आपको बता दे कि दो दिन पहले राजस्थान के हनुमानगढ़ रेलवे स्टेशन अधीक्षक को एक धमकी भरा पत्र मिला था, जिसमें धमकी देने वाले ने खुद को जैश-ए-मोहम्मद का जम्मू कश्मीर एरिया कमांडर मोहम्मद सलीम अंसारी बताया था। इस धमकी के बाद से न केवल मध्यप्रदेश बल्कि राजस्थान पुलिस सहित सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। हालांकि उस पत्र को कोरी अफवाह ही माना जा रहा है। पत्र में राजस्थान और मप्र को खून से रंगने की बात लिखी गई है। पत्र में जम्मू कश्मीर में जेहादियों की हत्या का बदला लेने के लिए स्टेशनों और उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है।

नोट - खबर का उद्देश्य केवल जागरूकता

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