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विक्रमादित्य ने 12 बार शीश काटकर चढ़ाया


विश्व के चार पौराणिक नगरों में से एक अवंतिका या उज्जैन नगरी 51 शक्ति पीठ में से एक है। यहां विश्व का एकमात्र दक्षिण मुखी ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर रूप में विराजित है। इसके साथ ही सम्राट विक्रमादित्य की अवंतिका नगरी तांत्रिक सिद्ध पीठ हरसिद्धि मंदिर के लिए भी विख्यात है। शारदीय नवरात्र में ‘MP के देवी मंदिरों के दर्शन सीरीज में’ आज आपको दर्शन कराने जा रहे हैं उज्जैन के हरसिद्धि माता मंदिर के।

महाकाल मंदिर से महज 500 मीटर की दूरी पर विराजित हैं मां हरसिद्धि। सप्त सागर में से एक रूद्र सागर के तट पर बना मंदिर 2000 साल से भी ज्यादा पुराना है। उज्जैन ही एकमात्र स्थान है जहां ज्योर्तिलिंग के साथ शक्ति पीठ भी है। इसे शिव और शक्ति के मिलन के रूप में भी देखा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सती के शरीर के 51 टुकडों में से यहां माता की कोहनी गिरी थी।

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