मकाकाल मंदिर क्षेत्र में हादसा - कार्रवाई के नाम पर लीपा-पोती
उज्जैन - महाराजवाड़ा स्कूल की दीवार हादसे के मामले में प्रशासन बैकफुट पर आ गया है। मामले में ताबडतोड़ कार्रवाइयां भी की गई, जो काफी नहीं है। हकीकत तो ये है कि भीड़ प्रबंधन के मामलों में प्रशासन हमेशा से घेरे में रहा है। उज्जैनवासियों की चिंता का विषय ये है कि सिंहस्थ पर्व 2028 में होना है।
सवाल ये है कि हादसा होने के बाद प्रशासन कार्यवाइयां करता भी है, तो इसका कोई मतलब नहीं रह जाता है। प्राथमिक तौर पर जिन कारणों को बताकर कार्यवाइयां की गई हैं, उनमें से एक भी ऐसा नहीं है, जो पहले से प्रशासन के संज्ञान में नहीं था, क्योंकि अधिकारी अपने बयानों में ये बात कह चुके हैं कि इस कार्य के लिए उन लोगों को पत्र लिखे गए थे, लेकिन कार्य में लापरवाही बरतने पर निलंबन की कार्रवाई की गई है।
क्या इससे ये मान लिया जाए कि मालूम होते हुए भी प्रशासन आंखें मूद्दे बैठा था या बात कुछ और है जिसे छुपाया जा रहा है। बहरहाल ये जांच का विषय है। बात फिर वही है, उज्जैन की धूमिल होती छवि की चिंता कौन करेगा।
असल वजह से भटकी जांच
महाकाल मंदिर के सामने जो हादसा हुआ वह बेहद दुखद और दर्दनाक था। जिसके बाद की गई कार्रवाई में सिर्फ एक ही बात निकलकर सामने आई कि क्षेत्र में अतिक्रमण था और उसे हटाने के लिए किसी ने तत्परता नहीं दिखाई। जिला प्रशासन को लगता है कि यदि अवैध रूप से दुकान लगाने वालों पर एक्शन ले लिया जाता, तो ये हादसा नहीं होता।
पांच कर्मचारियों पर गिरी गाज
घटना के तुंरत बाद जिला कलेक्टर नीरज सिंह ने एसडीएम को जांच के आदेश दिए और उन्हीं के निर्देश पर नगर निगम के दो कर्मचारियों उपयंत्री गोपाल बोयत और विशेष गैंग प्रभारी मनीष बाली को निगम कमिश्नर ने निलंबित किया। इसी तरह पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने महाकाल थाने के टीआई अजय वर्मा और बीट प्रभारी एसआई भरत सिंह निगवाल को सस्पेंड किया। इसी मामले में महाकाल मंदिर के सुरक्षा अधिकारी दिलीप बामनिया पर भी कार्रवाई कर इन्हें भी बर्खास्त किया गया।
अतिक्रमण पर खुली वसूली
महाकाल मंदिर में रोजाना एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। इन श्रद्धालुओं के यहां आने से शहर की आर्थिक उन्नति के द्वारा भी खुले और तमाम बेरोजगारों को रोजगार भी मिला। लेकिन उस रोजगार के नाम पर उनसे खुली वसूली की जाती है। मंदिर क्षेत्र में स्थाई और अस्थाई रूप से व्यापार व्यवसाय करने वालों से नगर निगम खुले रूप से वसूली करता है। यहां पर 20 रूपए से 200 रूपए तक की पर्ची बनाकर निगम द्वारा वसूली की जाती है। यदि प्रशासन को लगता है कि ये लोग अवैध रूप से कब्जाकर व्यापार व्यवसाय करते हैं, तो इन पर कार्रवाई करने के बजाए इनसे वसूली क्यों की जाती है।
बने सख्त कानून
शासन प्रशासन को लगता है कि क्षेत्र में अतिक्रमण था, तो ऐसे हालात तो यहां पर सालों से बने हुए हैं। क्यों अब तक यहां कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। हर बार दिखावे का ढोल बजाकर कुछ लोगों को त्यौहारों पर खदेड़ दिया जाता है और बाद में वैसे के वैसे ही हालात फिर से बन जाते हैं। यदि प्रशासन को लगता है कि सच में यहां अतिक्रमण होता है, तो इस बार हुए हादसे एक सबक लेकर सख्त कानून बनाया जाए, ताकि कोई भी व्यक्ति यहां फुटपाथ पर रेहड़ी लगाकर या सड़क किनारे व्यापार व्यवसाय न कर सके। लेकिन ऐसा होना संभव नहीं है, क्योंकि ऐसा करने से नगर निगम के राजस्व में भारी नुकसान होगा।
असल वजह कुछ और....
महाकाल मंदिर क्षेत्र में जो हादसा हुआ, उसकी वजह कुछ और ही है। एसडीएम उस मामले में जांच कर रहे हैं। बताया जा रहा कि दीवार के आगे बना मकान इस हादसे की एक वजह है। इस मामले में कलेक्टर का कहना है कि मकान की स्थिति बहुत ठीक नहीं है। इसके लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे।
असल में महाराजवाड़ा स्कूल की दीवार से सटा हुआ मकान विमल व्यास का है। जो बड़ा गणेश मंदिर के पुजारी हैं। जो दीवार गिरी है उसकी वजह से उनके मकान की छत पर भी पानी भरता था, जिसकी शिकायत उन्होंने अधिकारियों से भी की थी। पंडित व्यास का कहना है कि पिछले साल जब स्मार्ट सिटी के अधिकारी रिटेनिंग वॉल के ऊपर नई दीवार बना रहे थे, तब उन्होंने कहा था कि 8 इंच दीवार बनाने से क्या होगा, ये एक न एक दिन गिर जाएगी और वैसा ही हुआ।
क्या किए जा रहे हैं किसी को बचाने के प्रयास ?
कुल मिलाकर जिस स्थान पर ये घटना हुई, वहां पर महाकाल प्रोजेक्ट के तहत फेस-टू का कार्य किया जा रहा है। अब पुरानी दीवार पर नई दीवार बनाने का आइडिया किस इंजीनियर का था, उसने क्या सोचकर ये दीवार बनाई, ये तो गहन और ईमानदार जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। क्योंकि जिस भी इंजीनियर ने ये कार्य करवाया होगा, उसने भी इसके अच्छे और बुरे परिणामों पर विचार तो किया ही होगा। ऐसे में ये भी माना जा सकता है कि ये कार्य किसी और ही मकदस से किया गया। ये भी माना जा सकता है कि आगे वाले मकान को कमजोर करना इसका उद्देश्य हो, लेकिन इसके परिणाम दूसरे स्वरूप में सामने आए।
बहरहाल अब तक हुई कार्रवाई से तो यही स्पष्ट हो रहा है कि दो विभागों को छोड़कर, जिनका इस घटना से कोई प्रत्यक्ष लेना देना नहीं था, उन्हें दोषी बताकर कार्रवाई की शुरूआत की जा चुकी है, अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में खुद के चहेतों का बचाव करते हुए किस किस को दोषी ठहराता है।