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भारत में नहीं दिखेगा साल का दूसरा चंद्र ग्रहण


उज्जैन - ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों और नक्षत्रों की तरह ग्रहण का भी महत्व माना गया है। इस खगोलीय घटना को देखने के लिए विषय विशेषज्ञ और विद्यार्थी भी सदैव तत्पर रहते हैं। इस साल मार्च महीने में पहला चंद्र ग्रहण लगा था और अब सितंबर में साल का दूसरा ग्रहण लगेगा। हालांकि यह ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा और न ही इसका सूतककाल मान्य होगा। ज्योतिष के अनुसार, साल 2024 का दूसरा चंद्रग्रहण 18 सितंबर को प्रातःकाल 6 बजकर 12 मिनट से आरंभ होगा और सुबह 10 बजकर 17 मिनट तक दिखाई देगा। इसकी कुल अवधि 4 घंटे 5 मिनट तक रहेगी, लेकिन ये ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देने से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।
इन देशों में देखा जा सकेगा ग्रहण
साल 2024 का दूसरा चन्द्रग्रहण भारत को छोड़कर यूरोप, अतिरिक्त प्रशांत महासागर, अटलांटिक, आर्कटिक और अंटार्कटिका. उत्तर-पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया के बड़े हिस्से, अफ्रीका के कुछ हिस्से उत्तर और दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा।
कब लगता है चन्द्र ग्रहण?
हिंदू धर्म में खगोलीय और धार्मिक दोनों दृष्टि से ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो सूरज की रोशनी धरती तक पहुंच नहीं पाती है। जिसे सूर्य ग्रहण का नाम दिया गया है। जबकि, चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच आ जाती है। जिससे चंद्रमा धरती की छाया से पूरी तरह से छुप जाता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के बिल्कुल सीध में होते हैं। इस दौरान जब हम धरती से चांद देखते हैं तो वह हमें काला नजर आता है।
चंद्र ग्रहण का सूतक काल
वेद-शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण लगने के 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है, जो ग्रहण समाप्त होने के साथ खत्म हो जाता है। लेकिन इस बार चन्द्र ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा, जिसके कारण सूतक काल मान्य नहीं होगा। आपको बता दें कि सूतक काल के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। सूतक काल के समय पूजा-पाठ और कोई मांगलिक, धार्मिक कार्यों को करने की मनाही होती है। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय विशेष सावधानी रखने के लिए शास्त्रों में उल्लेखित किया गया है।

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