विश्व आदिवासी दिवस सूरजपुरा और बहादुरखेड़ा गांव मोगिया समाज की संस्कृति की पहचान
एक तरफ जहां आधुनिकीकरण के चलते आदिवासी जनजातियों से जुड़ी संस्कृति और परंपराएं धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही हैं, वहीं तराना तहसील के दो गांवों में प्रवेश करने पर आज भी सालों पुरानी आदिवासी संस्कृति देखने मिलती है। यह दो गांव सूरजपुरा और बहादुरखेड़ा है, जहां सालों से केवल मोगिया समाज के लोग निवासरत हैं।
दोनों गांवों में लगभग 3 से 4 हजार लोगों की आबादी होगी। शहरों में जहां अब पक्के घर, मॉडर्न कपड़ों और डिजाइनर ज्वैलरी का चलन हैं लेकिन इन गांवों में आज भी लोग कच्चे मिट्टी के बने मकानों में रहते हैं, जनजातीय पहनावा हैं और अपने चांदी के अलग तरह के आभूषण पहनते हैं, जिसमें इनके कुलदेवता उकरे हुए रहते हैं।
यह लोग मुख्य रूप से खेती और पशुपालन पर निर्भर हैं व यह शिकार भी किया करते थे, आज भी अपने क्षेत्रों में धनुष-तीर बनाते हुए नजर आ जाते हैं। आदिवासी समाज अन्य समाजों से थोड़ा दूर रहना ही पसंद करता है, ये इन दोनों गांवों के अलावा भी मालवा के अन्य गांवों और शहरों में निवास करते हैं लेकिन फिर भी अधिकांश लोग आज भी भीड़भाड़ से दूर रहकर अपना निवास बनाते हैं। जानकारी समाज के डॉ. रवींद्र भाटी ने बताई।