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चरक सिद्धांत के आधार पर डायबिटीज को जड़ से खत्म करने के लिए 20 से ज्यादा शोध


फादर ऑफ मेडिसिन कहे जाने वाले आचार्य चरक ने लगभग 2000 वर्ष पहले चरक संहिता ग्रंथ लिखा गया था। उन्हीं सिद्धांतों पर शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद अस्पताल में रोगों का इलाज किया जा रहा है। विशेष रूप से डायबिटीज का। इसके ऊपर कायचिकित्सा स्नातकोत्तर विभाग के प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष डॉ. ओमप्रकाश व्यास कार्य कर रहे हैं।

लगभग 15 वर्षों से जारी डायबिटीज चिकित्सा के लाखों रोगियों को महर्षि चरक के सिद्धांतों के अनुसार चिकित्सा दी गई है। मूलरूप से डायबिटीज कफ कारक पदार्थ के सेवन से होता है और इस पर आचार्य चरक ने सिद्धांत दिया कि यदि कफ को खत्म किया जाए तो डायबिटीज को सही किया जा सकता है। इसी सिद्धांत को आधार बनाते हुए डॉ. व्यास ने विभिन्न प्रकार की औषधियां का निर्माण शोध कार्य में किया। डायबिटीज पर अब तक लगभग 20 शोध कार्य हो चुके हैं।

डायबिटीज में विभिन्न प्रकार की औषधियां का उपयोग आचार्य चरक ने बताया है- जैसे गुड़मार सौंफ, सनाय, त्रिफला, शिलाजीत, बला, बबूल की फली, जामुन की गुठली, आम की गुठली, करेले के बीज, मेष श्रृंगी आदि है। डायबिटीज से आने वाली कमजोरी को बसंत कुसुमाकर रस, शिलाजीत, बंग, बला, अश्वगंधा आदि औष​धि​ से दूर करते हैं।

इसी प्रकार स्लिप डिस्क, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और लकवा के मरीजों को महर्षि चरक के सिद्धांतों के अनुसार पंचकर्म चिकित्सा तथा आयुर्वेद चिकित्सा दी जाती है। त्वचा के रोगों को आचार्य चरक ने वात, पित्त और कफ तीन भागों में बांटा है। वात के कारण त्वचा में रुखापन और खुजली होती है, इसमें औषधि सिद्ध घी का पान कराया जाता है।

इसी प्रकार पित्तज कुष्ठ रोगों में त्वचा में लाल रंग के फफोले व घाव हो जाते हैं और खुजली भी रहती है। ऐसे रोगों में मरीज को विरेचन और रक्त मोक्षण किया जाता है। रक्त मोक्षण में विभिन्न पद्धतियों से शरीर के अशुद्ध रक्त को बाहर निकाला जाता है। इसमें लीच द्वारा खून को चूस लिया जाता है। साथ ही अलाबु या गिलास लगाने की पद्धति से भी खून को निकाला जाता है।

इसके साथ ही कुष्ठ रोगियों की त्वचा में अधिक गीलापन रहता है, उनकी चिकित्सा में वमन कर्म कराया जाता है और औषधीय लेपन का प्रयोग भी किया जाता है। चरक संहिता चिकित्सा का मूल ग्रंथ है। इसमें अनेक योग और द्रव्यों का वर्णन है। इसके हिसाब से यहां उपचार किया जाता है, जिससे लोगों को फायदा हुआ है और बड़ी संख्या में रोगी यहां आ रहे हैं और उनके रोग जड़ से खत्म हो रहे हैं।

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