हाईरिस्क गर्भवती की सतत निगरानी से हो सकी सफलतापूर्वक सुरक्षित प्रसूति
उज्जैन- मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने हेतु शासन सतत प्रयासरत है। मुख्य
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.अशोक कुमार पटेल के निर्देशन में जिले में विभाग द्वारा बेहतर मातृ
एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। इसी क्रम में जिले की महिदपुर तहसील के ग्राम डेलचीखुर्द
निवासी गर्भवती महिला पूजा पति धर्मेंद्र 22 वर्ष, जिसका पहला बच्चा ऑपरेशन से हुआ एवं पी.आई.एच.
(गर्भावस्था के दौरान बीपी बढ़ना) भी था, जो हाईरिस्क गर्भवती महिला की श्रेणी में आता है। पूजा दूसरी
बार गर्भवती हुई। जैसे ही महिला की गर्भावस्था बारे में ग्राम की स्वास्थ्य कार्यकर्ता, एएनएम व सी.एच.ओ
(कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर) को पता चला उन्होंने पूजा का लगातार 15 दिन के अंदर फॉलोअप लेना प्रारंभ
किया। विगत 15 दिन पहले सी.एच.ओ (कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर) श्री ईश्वर प्रजापत द्वारा उनका बीपी
चेक किया गया, जो कि नॉर्मल था। रूटीन के हिसाब से महिला 15 दिन बाद पुनः बीपी की जांच करवाने
आई तो पूजा के शरीर पर सूजन, हाई ब्लड प्रेशर, यूरीन एल्बुमिन प्लस पाई गई। पूजा को प्राथमिक
उपचार देकर तुरंत सिविल अस्पताल महिदपुर भेजा गया, परंतु पति एवं उसकी सास ने किसी की बात नहीं
मानी और वह लेकर वापस घर पर आ गई।
पूजा के पति धर्मेन्द्र ग्राम के ही उप स्वास्थ्य केंद्र के कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर से लगातार फोन से
संपर्क में थे। जैसे ही उन्हें पता चला की महिला डिस्चार्ज करवा कर घर पर आ गई है वापस महिला का
फॉलोअप किया गया, जिसमें उनका ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ पाया गया। साथ ही शुगर, यूरीन एल्बुमिन चेक
किया। सी.एच.ओ. ने महिदपुर के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ.मनीष उथरा से संपर्क करके पूजा को सिविल
हॉस्पिटल महिदपुर में रेफर किया एवं सिविल हॉस्पिटल महिदपुर में महिला का बीपी अत्यधिक बढ़ा हुआ
पाया गया एवं स्थिति बिगड़ने लगी। चिकित्सक डॉ.शिवानी पवार द्वारा महिला के स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु
उपचार किया गया। पूजा एवं गर्भस्थ शिशु के जीवन की रक्षा हेतु एवं तुरंत ही अस्पताल की रोगी कल्याण
समिति की एम्बुलेंस से ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर से समन्वय कर महिला नजदीकी हायर सेंटर में रेफर कर
दिया। वहां चिकित्सक ने पूजा गंभीरता को देखते हुए तत्काल पूजा का निःशुल्क ऑपरेशन कर प्रसूति
करवाई। प्रसूति में पूजा ने स्वस्थ्य शिशु को जन्म दिया। इस प्रकार मैदानी अमले एवं बीएमओ के अथक
प्रयासों एवं हाईरिस्क गर्भवती की सतत निगरानी के फलस्वरूप पूजा एवं शिशु की जान बचाई जा सकी।