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भस्म आरती धुन पर 10 मिनट डमरू वादन चुनौती थी 1500 वादकों को तीन दिन में साइन लैंग्वेज सिखाई


शक्ति पथ पर 25 दल के 1500 भक्तों ने 10 मिनट तक लगातार भस्म आरती की धुन पर डमरू बजाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया। भस्म आरती की धुन पर 10 मिनट तक लगातार डमरू बजाना किसी चुनौती से कम नहीं था। तय किया कि संगीतकार रवींद्र जैन के शिष्य अनूप बोरलिया की मदद ली जाए। उन्हें बुलाया। सबसे पहले स्थानीय डमरू वादकों से चर्चा की।

भस्म आरती की धुन पारंपरिक होती है लेकिन विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए उसे समय में बांधा गया। तय किया कि 10 मिनट तक लगातार बजाना है। भास्कर से चर्चा में डमरू वादन सिखाने वाले सुदर्शन आयाचित ने कहा कि इसके लिए बच्चों को 25 दलों में बांटा गया। उन्हें डम एंड डीफ यानी मूकबधिर की भाषा साइन लैंग्वेज सिखाई गई ताकि प्रदर्शन के समय उन्हें केवल इशारों से समझाया जा सके।

एक गुन, दो गुन, चार गुन में दी प्रस्तुति: संगीत की भाषा में किसी धुन पर प्रस्तुति देने के लिए इस तकनीक को अपनाया जाता है। विशेषकर तबले में ऐसा होता है लेकिन डमरू वादन एक साथ करना आसान नहीं था। सबसे पहले शंख नाद, गर्जना, झांझ और ढोल बजाए गए।

तीन दिन तक रिहर्सल की शक्तिपथ पर सभी 1500 डमरू वादकों को तीन दिन सीखाया। उन्हें तय में कैसे डमरू वादन करना है, इस बात की जानकारी दी। रविवार को फाइनल रिहर्सल बाद भी सोमवार सुबह चार बार रिहर्सल की गई। महाकाल लोक स्थित शक्तिपथ पर डमरू बजाने के रिकॉर्ड में महिलाओं व युवतियों ने भी बढ़-चढ़कर भागीदारी की।

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