नसबंदी के बाद खूंखार हो गए आवारा कुत्ते, लोगों पर कर रहे हमले, छह माह में 4551 मरीज उपचार के लिए अस्पताल पहुंचे
अब भाजपा पार्षदों ने भी आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर आवाज उठाना शुरू कर दी है, जिसमें भाजपा नेता व वार्ड-23 के पार्षद व एमआईसी सदस्य रजत मेहता ने नगर निगम आयुक्त को चिट्ठी लिखी है।
इसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि शहर में आवारा कुत्तों की आबादी बहुत बढ़ती जा रही है। इसके कारण शहर की गली व मोहल्लों में कुत्तों के झूंड बढ़ गए हैं। जो कि आम लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर रहे हैं। राह से गुजरने वाले वाहन चालकों पर अचानक दौड़ लगा देते हैं, जिससे लोग वाहन से गिरकर भी घायल हो रहे हैं।
आए दिन लोग कुत्ते के हमले के शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। आवारा कुत्तों की नसबंदी करवाई जाने के बाद वे और अधिक आक्रोशित व खुंखार हो गए हैं। पूर्व में मेयर इन काउंसिल एवं सदन में भी आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और हमले के मामलों को लेकर चर्चा की जा चुकी है।
इस समस्या का गंभीरता से विचार कर शीघ्र समुचित निराकरण करवाया जाने के साथ में कुत्ता बावड़ी को फिर से शुरू करवाया जाए। शहर में आवारा कुत्तों के हमले से अब तक 15-20 लोग घायल हो चुके हैं। बारिश के दिनों में कुत्तों का आपस में हिंसक संघर्ष भी बढ़ता जा रहा है, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है।
कुत्ते आपस में झगड़ते है और उस समय मौजूद लोगों पर भी हमला कर देते हैं। कुत्तों की संख्या को नियंत्रण करने के लिए निगम द्वारा समय-समय पर नसबंदी अभियान के तहत कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी की जाती है। जून और जुलाई दो माह में 417 कुत्तों की नसबंदी की गई। नसबंदी किए जाने से भी कुत्ते हिंसक हुए है, जो लोगों को देखकर भड़क जाते है। इस तरह से कुत्तों के झूंड शहर के कई क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं।
जनवरी में सबसे ज्यादा हिंसक जनवरी 2024 से जून 2024 तक 6 माह में 4551 लोगों पर कुत्तों ने हमला किया, जिससे वे घायल होकर जिला अस्पताल और प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचे। इस अवधि में सबसे ज्यादा जनवरी माह में 921 लोगों को कुत्तों ने अपना शिकार बनाया है।
1. बारिश में पानी से बचाव के लिए कुत्तों का उपयुक्त स्थान नहीं होना।
2. बारिश में खाने की चीजों का अभाव होना। 3. बारिश में कुत्तों का प्रजनन काल होने से ही वे हिंसक हो रहे है।