बारिश के बाद कार्रवाई:सिंहस्थ क्षेत्र से बारिश बाद तेजी से हटाएंगे अवैध निर्माण, निगम की सूची में चिह्नित हैं 427 जगह
सिंहस्थ 2028 की तैयारियों के क्रम में जहां कई बड़े प्रोजेक्ट व निर्माण कार्य शुरू होने जा रहे हैं। वहीं अब बारिश बाद मेला क्षेत्र से अवैध निर्माण व अतिक्रमण भी तेजी से हटाए जाने लगेंगे। मेला क्षेत्र को संरक्षित रखने के लिए समय-समय पर साधु-संत चेतावनी देते आए हैं। नगर निगम ने मेला क्षेत्र में करीब 427 अवैध निर्माण व अतिक्रमण चिह्नित कर रखे हैं।
सिंहस्थ 2016 में करीब 8 करोड़ श्रद्धालु शहर में आए थे। अगले 2028 के सिंहस्थ में ये आंकड़ा बढ़कर 14 करोड़ तक होने का अनुमान हैं। यानि इतने श्रद्धालुओं की मेजबानी के लिहाज से सिंहस्थ की तैयारी की जाना है। जाहिर है कि इसके लिए पिछली बार की तुलना में इस बार मेला क्षेत्र में और ज्यादा जगह चाहिए।
उज्जैन में सिंहस्थ शिप्रा किनारे लगता है। शिप्रा में स्नान हो सके, नदी किनारे व शहर के आसपास मेला लगने की परंपरा कायम रहे। इसलिए मेला क्षेत्र की जमीन का संरक्षण जरूरी हैं। सिंहस्थ मेला क्षेत्र अधिनियम 1955 में लागू हुआ। यह जमीन संतों के पंडाल लगाने के लिए खाली रखी जाती है। अवैध निर्माण पर 3 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है।
2004 में 2154 और 2016 में 3061 हेक्टेयर में लगा था मेला आंकड़े बताते हैं कि 2004 का सिंहस्थ 2154 हेक्टेयर क्षेत्र में लगा था जबकि पिछले यानि 2016 के सिंहस्थ में 3061 हेक्टेयर क्षेत्र की जरूरत पड़ी थी। यानि 907 हेक्टेयर अधिक। लिहाजा ऐनवक्त पर मेला प्रशासन को आसपास के गांवों में भी जमीन अधिग्रहित करना पड़ी थी। तब जाकर आपूर्ति हो पाई थी। नियम है कि सिंहस्थ मेला क्षेत्र में बगैर अनुमति के निर्माण करना प्रतिबंधित है।
अधिकारियों की भी ड्यूटी है कि वे मेला क्षेत्र को संरक्षित रखें लेकिन पिछले मेले के बाद से ही मेला क्षेत्र में कई अवैध निर्माण व अतिक्रमण हुए हैं। कुछ पर कार्रवाई भी हुई थी लेकिन नाकाफी रही। चूंकि अब सिंहस्थ 2028 की तैयारियां शुरू होने जा रही हैं तो जिम्मेदारों के सामने मेला क्षेत्र को सुरक्षित करने की प्राथमिकता व चुनौती दोनों ही है।
मेला क्षेत्र से अवैध निर्माण व अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई जारी हैं। कार्रवाई में बारिश बाद तेजी लाई जाएगी।
आशीष पाठक, निगमायुक्त