भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के माध्यम से किसानों को सोयाबीन फसल को रोग एवं कीट से बचाव की सलाह
उज्जैन- सोयाबीन की फसल अब लगभग 30-40 दिन की अवस्था में हो गई है. वर्तमान में
जिले में फसल की स्थिति संतोषजनक है। जिला डायग्नोस्टिक टीम समय-समय पर क्षेत्र में भ्रमण कर रही है और
वर्तमान में किसानों द्वारा खरपतवारनाशक डालने का काम लगभग पूर्ण कर लिया गया है। वर्तमान में फसल में कहीं
पर भी कीटव्याधि प्रकोप की स्थिति नहीं है। वर्तमान में फसल की आवश्यकता अनुसार जिले में वर्षा हो रही है।
कृषकों को सलाह है कि अपने खेत की सतत निगरानी करें और खेत में जाकर 3-4 पौधों को हिलाकर देखें
कि कीट/इल्ली का प्रकोप तो नहीं है। यदि कहीं पर एक वर्गमीटर में 3-4 इल्लियां दिखाई दे तो कीटनाशक का स्प्रे
करना चाहिये। जहां पर सोयाबीन की फसल घनी होने पर गर्डल बीटल का प्रकोप संभव है, इसकी पहचान पौधे पर दो
रिंग बने हुए दिखाई देंगे व फसल लटकी हुई, मुरझाई-सी दिखाई देगी तो किसान उसको तोड़कर खेत से बाहर फैंक दें।
खेतों में जलभराव से होने वाले नुकसान से बचाने के लिये जल निकासी की उचित व्यवस्था करें और कहीं पर
कीटव्याधि का प्रकोप दिखे तो निम्नानुसार दवाईयों का उपयोग करें-
तना मक्खी के नियंत्रण हेतु सलाह है कि लक्षण दिखाई देने पर पूर्व मिश्रित कीटनाशक आइसोसाइक्लोसरम
9.2 ww.bc या थायोमिथोक्सम 12.60 प्रतिशत+लेम्बड़ा सायहेलोथ्रिन 09.50 प्रतिशत जेड-सी या
बीटासाइफ्लुजिन+इमिडाक्लोप्रिड या इंडोक्साकार्ब 15.8 ईसी का छिड़काव करें।