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प्रजापति चौरासी संघ द्वारा किया गया भगवान महाकालेश्वर की सवारी का भव्य स्वागत


उज्जैन- मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान महाकालेश्वर विराजित हैं, जो शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. उज्जैन में महाकाल मंदिर में दर्शन करने के लिए भोलेनाथ के भक्तों का तांता साल भर लगा रहता है लेकिन ये भीड़ उस समय और बढ़ जाती है, जब सावन का महीना आता है और उज्जैन महाकाल की सवारी निकाली जाती है। जानकारी देते हुए प्रजापति चौरासी संघ के अध्यक्ष एवं म.प्र. शासन के पूर्व मंत्री श्री अशोक प्रजापत ने बताया की महाकाल की सवारी की परंपरा सदियों पुरानी है. इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है. ग्यारहवीं शताब्दी के राजा भोज ने इस परंपरा को बड़े रूप में किया करना शुरू किया, उन्होंने इस जुलूस में कई नए कलाकारों और संगीतकारों को शामिल किया। सिंधिया वंश के राजाओं ने इस जुलूस को और अधिक भव्य बनाया उन्होंने जुलूस में कई नए रथ और हाथी शामिल किए।
संघ के महासचिव राधेश्याम प्रजापति एवं कोषाध्यक्ष श्री किशोर तनोडिया ने बताया की भगवान के हर कार्य में बढ-चढकर भागीदारी करना प्रजापति चौरासी संघ एवं कुम्हार समाज की परम्परा रही है इसी कडी में कल पवित्र श्रावण मास की पहली सवारी के अवसर पर संघ के अध्यक्ष श्री अशोक प्रजापत के नेतृत्व में समाजजन भगवान महाकालेश्वर की सवारी के स्वागत एवं दर्शन हेतु प्रजापति समाज की धरोहर श्रीयादे माता मंदिर एवं धर्मशाला तीर्थस्थल रामघाट पर एकत्रित हुए एवं सवारी का पुष्पमाला अर्पित कर एवं पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।
संघ के अति. अध्यक्ष रमेश मुन्नालाल एवं महासचिव दिनेश कुंभकार ने बताया कि महाकाल की सवारी एक भव्य यात्रा है, जिससे नागरिकों की आस्था जुडी हुई है प्रजा पलक पावडे बिछाकर अपने अराध्य का स्वागत करने के लिए उनकी पालकी निकलने की प्रतीक्षा करती है। इस अवसर पर उपस्थित जनों में सर्व श्री व्यवस्थापक श्री जगदीश नगरिया दुलिचंद्र एल्डरमैन, संतोष मंत्री, नरेन्द्र मंत्री, पुरूषोत्तम प्रजापति, श्रीमती चंद्रकांता कुंभकार एवं अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहें।
यह जानकारी संघ के सचिव रवि प्रजापत ने दी।

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