एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट बनने के बाद से बदलाव
विक्रम विश्वविद्यालय अब पढ़ाई के साथ विद्यार्थियों को खेती भी सीखा रहा है। विद्यार्थी बुआई से लेकर फसल लहलहाने तक उसकी देखभाल खुद कर रहे हैं। ये सब पढ़ाई के साथ किया जा रहा है, ताकि एग्रीकल्चर व हॉर्टिकल्चर के विद्यार्थियों को सिर्फ थ्योरिकल ही नहीं, बल्कि प्रेक्टिकल नॉलेज भी ऐसा हो कि शिक्षित होने के साथ ही खेती का आधुनिक अनुभव होने से फायदे-नुकसान को ध्यान में रखते हुए फसलों की अच्छे से देखभाल और अधिक पैदावार में दक्ष बन सके।
विक्रम विश्वविद्यालय में एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट शुरू हुए ये तृतीय वर्ष है। वर्तमान में देशभर के कृषि विषय के 850 विद्यार्थी विक्रम में अध्ययनरत है। विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों के 15-15 के ग्रुप बनाए गए हैं व 10 बाय 10 के खेत एक-एक ग्रुप को बोवनी से लेकर पानी देने तक की देखभाल के लिए दिए हैं। इसके पीछे उद्देश्य यही है कि विद्यार्थी पढ़ाई के साथ खेती को लेकर ये सीख सकें कि कब बीज बोना है, कब-कब पानी देना, किस तरफ फसल की देखभाल करना है व फसल को कीटनाशक से बचाना है तो कीटनाशक की मात्रा कितनी हो।
विद्यार्थियों को ये सब जानकारी खेती के जरिए सिखाई जा रही है, ताकि वे कृषि कार्य में वे इतने दक्ष हो कि कौन सी फसल कितनी फायदेमंद होगी, ये सब पता रहेगा तो भविष्य में बेहतर व आधुनिक खेती को बढ़ावा देने में ये विद्यार्थी अहम भूमिका निभा सकेंगे। विवि स्थित एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के समीप खेत में मूंग की फसल को पानी देते विद्यार्थी।
गेहूं, चना बो चुके, अब मूंग लगाई, मवेशी नष्ट न करे इसलिए पहले रात रुकते थे विद्यार्थियों ने गेहूं की फसल से शुरुआत की। पिछले साल चना लगाया था व इस बार डेढ़ से दो बीघा में मूंग की फसल बोई है। पहले सुरक्षा गार्ड नहीं होने से विद्यार्थी रात में भी फसल की देखभाल करते हैं, ताकि मवेशी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा सके। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के हेड डॉ. राजेश टेलर, मोनू विश्वकर्मा, रीना परमार, प्रभुदयाल पंवार, उमा पाटीदार, विकास खत्री विद्यार्थियों को खेती के लिए मार्गदर्शित कर रहे हैं। शिक्षकों ने बताया कि हार्टिकल्चर के विद्यार्थी भिंडी, लौकी व अन्य सब्जियां भी उगा चुके हैं।
एग्रीकल्चर के विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ खेती भी करवा रहे हैं, ताकि वे आधुनिक खेती के तरीके सीख सके। बच्चों को बीज, बुआई से लेकर देखभाल व कीटनाशक तक की जानकारी रहेगी तो हो सकता है, जब वे खेती करे तो अच्छी व अधिक पैदावार वाली फसलें उगा सके। -प्रो. अखिलेशकुमार पांडेय, कुलपति विक्रम विवि