top header advertisement
Home - उज्जैन << महामंगल की जन्म स्थली कहे जाने वाले मंगलनाथ मंदिर में पुजारी पद को लेकर शह और मात का खेल जारी है

महामंगल की जन्म स्थली कहे जाने वाले मंगलनाथ मंदिर में पुजारी पद को लेकर शह और मात का खेल जारी है


उज्जैन। महामंगल की जन्म स्थली कहे जाने वाले मंगलनाथ मंदिर में पुजारी पद को लेकर शह और मात का खेल जारी है। ताजा मामले में धार्मिक न्यास व धर्मस्व विभाग ने पं.दीप्तेश दुबे को पुजारी पद के लिए अपात्र माना था। इसके बाद पं.दुबे ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। न्यायालय ने उन्हें राहत देते हुए धर्मस्व विभाग के आदेश पर स्थगन दे दिया है।

मंगलनाथ मंदिर में भारती परिवार महंत व वंशपरंपरा से पूजा अर्चना करता आया है। बताया जाता है सितंबर 1997 में तत्कालीन एसडीएम घट्टिया ने पुजारी पद पर दीप्तेश दुबे को नियुक्त किया था। इस आदेश के विरुद्ध गणेश भारती ने वर्ष 2010 में कलेक्टर को अपील प्रस्तुत की थी।
सुनवाई के बाद 23 दिसंबर 2010 को भारती की अपील निरस्त कर दी गई। भारती ने संभागायुक्त के समक्ष अपील प्रस्तुत की। उन्होंने कलेक्टर के आदेश को विधि अनुरूप मानते हुए अपील निरस्त कर दी। भारती ने आदेश के खिलाफ सरकार में निगरानी प्रस्तुत की।
5 अप्रैल को आया आदेश
इधर दीप्तेश दुबे ने 23 मार्च 2019 को हाई कोर्ट में दस्तक दी। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनवाई का अवसर देने के बाद निर्णय करने के आदेश दिए। इसके बाद लंबी कानूनी लड़ाई चली और 5 अप्रैल 2024 को धार्मिक न्यास व धर्मस्व विभाग के प्रमुख सचिव डा.ई रमेश कुमार ने आदेश जारी किया।
इसमें दीप्तेश दुबे के दावे को अपात्र माना गया है। आदेश में लिखा है कि दुबे के पास दस्तावेज नहीं है। उन पर वंशपरंपरा भी लागू नहीं होती है। जबकि भारती परिवार वर्षों से वंश परंपरा अनुसार महंत व पुजारी के रूप में भगवान मंगलनाथ की पूजा अर्चना करता आ रहा है। इस परिवार ने वर्ष 1979 में मंगलनाथ मंदिर को एक बीघा भूमि भी दान में दी है। इस आदेश के विरुद्ध दीप्तेश दुबे को हाईकोर्ट से स्थगन मिल गया है।

Leave a reply