एक हजार वर्ष पुराना मंदिर जुलाई तक तैयार होगा
25 जून 2021 को जमीन में दबे हुए प्राचीन मंदिर का ढांचा दिखाई दिया था। श्री महाकालेश्वर मंदिर में खुदाई के दौरान निकले एक हजार वर्ष पुराने मंदिर को दोबारा बनाया जा रहा है। पुरातत्व विभाग के चार सदस्यीय दल ने निरीक्षण कर विभाग को रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। विशेषज्ञ की देखरेख में खुदाई कार्य कर करीब एक हजार साल पुराने मंदिर के पुरा अवशेष के वर्गीकरण का काम हो चुका है। पिछले दिनों पुरातत्व विभाग की आयुक्त ने निरीक्षण कर तकनीकी पहलुओं की जानकारी लेकर निर्देश दिए है। संभावना है कि जुलाई में श्रावण शुरू होने तक 37 फीट ऊँचा मंदिर आकार लेगा।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में नए निर्माण कार्य के लिए करीब 25 से 30 फीट की खुदाई के दौरान मिट्टी में दबे प्राचीन मंदिर के पुरा अवशेष प्राप्त हुए थे। जानकारी मिलने के बाद पुरातत्व विभाग के शोध अधिकारी डा. धु्रवेंद्रसिंह जोधा को पुरातत्व विधि से खुदाई कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। विशेषज्ञों की देखरेख में इस स्थान से मिले स्तंभ, कुंभ भाग,आमलक आदि के अवशेषों का वर्गीकरण के बाद विभाग ने इन पुरा अवशेष पर नंबरिंग भी है। पुरातत्व विभाग अब आधार भाग से शिखर तक के हिस्सों को जोड़कर प्राचीन स्वरूप में ही मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ करने के पहले सफाई कार्य जनवरी में शुरू किया था। पिछले दिनों पुरातत्व अभिलेखागार एंव संग्रहालय की आयुक्त उर्मिला शुक्ला ने महाकाल मंदिर पहुंचकर प्राचीन मंदिर के निर्माण की जानकारी ली है। मंदिर के तकनीकी पहलुओं पर निर्देश दिए है। इस दौरान भोपाल के पुरातत्व अधिकारी डॉ. रमेश यादव, पुरातत्व विभाग इंदौर के उप संचालक प्रकाश परांजपे, त्रिवेणी संग्रहालय के संग्रहाध्यक्ष योगेश पाल और पुरातत्व विभाग के उपयंत्री पुष्पेंद्र रोकड़े मौजूद थे। बता दें कि प्राचीन मूल स्वरूप में मंदिर निर्माण के लिए पुरातत्व विभाग ने अनुमानित करीब 65 लाख रूपए की स्वीकृति दी है। राजस्थान व अन्य स्थानों से पुरातत्व विभाग में कार्य करने वाले विशेषज्ञ कारीगर निर्माण कार्य करेंगे।