top header advertisement
Home - उज्जैन << मंगलवार को हिंदू नववर्ष या गुड़ी पड़वा पर्व मनाया ।

मंगलवार को हिंदू नववर्ष या गुड़ी पड़वा पर्व मनाया ।


मंगलवार को हिंदू नववर्ष या गुड़ी पड़वा पर्व मनाया गया । इस दिन सम्राट विक्रमादित्य के संवत्सर में भी परिवर्तन होता है। इस बार नव संवत्सर 2080 समाप्त होकर अब नव संवत् 2081 लग जाएगा। साथ ही नल नाम संवत्सर समाप्त होकर पिंगल या पिंगला संवत्सर के नाम से बोला जाएगा।

नवरात्रि इस बार मंगलवार को 9 अप्रैल से शुरू हो रही है। इस दिन मां घोड़े पर सवार होकर आ रही है। नवमी तिथि 17 अप्रैल को होगी, इस दिन नवरात्रि से संबंधित हवन, पूजन व आयोजन की पूर्णाहुति हो जाएगी। नौ िदनों तक पूजन, अर्चन व हवन कर श्रद्धालु मां को प्रसन्न करेंगे।

ज्योतिषाचार्य ने बताया इस बार नववर्ष और नवरात्रि से ग्रहों का 30 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन राजयोग, अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग एकसाथ हैं। इन संयोगों से पूरा साल बेहतर होगा और खुशियां लेकर आएगा। इस योग में जमीन, भवन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, फ्लैट आदि खरीदने को शुभ माना गया है। पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल 2024 को रात 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 9 अप्रैल 2024 को रात 8 बजकर 30 मिनट पर इसका समापन होगा। इस दिन नीम-मिश्री का प्रसाद खाया जाता है। मान्यता है कि चैत्र के इन 15 दिनों तक जो नीम-मिश्री खाता है, वह अस्वस्थ नहीं होता है। पं. अमर डब्बावाला के मुताबिक 9 दिन की साधना में विशेष प्रकार के पुष्पों से माता को प्रसन्न करें। श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के अनुसार आदी शक्ति को प्रसन्न करने के लिए सेवंती, मोगरा, रक्त कनेर, सूर्यमुखी, कमल आदि के पुष्प चढ़ाए जा सकते हैं।

पारिवारिक कुल परंपरा के अनुसार माता की उपासना की जा सकती है, किंतु गुरु की आज्ञा के माध्यम से शास्त्र के विशिष्ट मित्रों का अनुसरण किया जा सकता है। नवरात्रि के 9 दिन में अलग प्रकार से माता की पूजन की जा सकती है। रोज पाठक जपात्मक और हवनात्मक अनुष्ठान कर सकते हैं। कन्या, बटुक को भोजन भी करा सकते हैं। ज्योतिषाचार्य पं. मीतेश पांडे व पं. मनीष शर्मा के अनुसार गुड़ी जिसे भगवान ब्रह्मा का ध्वज माना गया है। गुड़ी को अयोध्या में भगवान राम की जीत और वापसी को दर्शाने के लिए फहराया जाती है। गुड़ी को हमेशा विजय के प्रतीक के रूप में ऊंचा रखा जाता हैै। ऐसे गुड़ी बनाएं : छड़ी या दंड की नोक पर सुनहरे बॉर्डर वाला पीला या हरा रंग का कपड़ा बांध लें। नारंगी या लाल रंग भी ले सकते हैं। कुछ नीम और आम की पत्तियां लें और उन्हें कपड़े के चारों ओर बांध लें। एक छोटा तांबे या चांदी का कलश लें, कुछ लोग नया गिलास भी लेते हैं और इसे गुड़ी के ऊपर रखें। गुड़ी को घर के प्रवेश द्वार के दाहिनी ओर या खिड़की पर थोड़ा झुका हुआ स्थान पर बांधा जाए। गुड़ी पड़वा हिंदुओं के लिए नया साल है।

नवसंवत्सर प्रतिपदा पर श्री औदीच्य ब्राह्मण समाज भागसीपुरा द्वारा ध्वज चल समारोह गुड़ी पड़वा मंगलवार की शाम निकाला जाएगा। चल समारोह शाम 6 बजे श्री आनंद भैरव मंदिर से ध्वज व भैरवनाथ के पूजन, आरती, वरिष्ठजन, सम्मानियों के सम्मान समारोह के पश्चात निकाला जाएगा। चल समारोह में अखाड़ा, श्री आनंद भैरव का मुखौटा, आकर्षक झांकिया, बैंड, घोड़ी, बग्घी एवं ध्वज सहित समाज के वरिष्ठजन उपस्थित रहेंगे। श्री आनंद भैरव नवयुवक मंडल के पं. मीतेश पांडे व ऋषिकेश पंड्या के मुताबिक चल समारोह में मणि कर्णिका घाट की होली सहित अन्य झांकियां आकर्षण का केंद्र रहेगी। यहां से निकलेगी गेर : पूजन के बाद भागसीपुरा से गेर निकलेगी, जो तोपखाना, महाकाल चौराहा, गुदरी, पटनी बाजार, गोपाल मंदिर, छत्रीचौक, सतीगेट, कंठाल, दौलतगंज, तोपखाना होते हुए पुन: भागसीपुरा पहुंचेगी।

Leave a reply