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गुड़ी पड़वा पर सिंहपुरी की पारंपरिक गैर निकलेगी


चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नव- संवत्सर गुड्डी पड़वां पर मंगलवार शाम 7 बजे सिंहपुरी की पारंपरिक गैर निकलेगी। गैर में झांकियां, ध्वज निशान, अखाड़ा, बैंड, घोड़ी, उंट, हाथी, बग्घियों के साथ ही भैरवनाथ का मुघोटा शामिल होगा। भैरवनाथ की आरती के बाद निशान व ध्वज का रामघाट पर पूजन होगा। यहां से गैर विभिन्न मार्गो से होकर वापस सिंहपुरी पहुंचेगी।

श्री महाकालेश्वर विक्रम भर्तहरी ध्वज चल समारोह समिति के अध्यक्ष पं. विनोद व्यास व पं.रवि शंकर शुक्ल ने बताया कि इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर चार झांकियां जिसमें पहली झांकी हनुमान जी के बाल स्वरूप में सूर्य का गेंद के आकार में निगलने का प्रयास, शिव का सती के दग्ध शरीर को उठाकर ले जाना, हरिहर मिलन, विक्रमादित्य का सिंहासन एवं 32 पुतलियां की झांकी के साथ ही 71 ध्वज, चार ऊंट, एक हाथी, 22 नाचने वाली घोड़ी, अखाड़ा, 22 ढोल और भैरवनाथ का मुघोटा शामिल होगा। शाम 7 बजे भैरवनाथ की आरती करने के बाद निशान, ध्वज का रामघाट पर तीर्थ पूजन करने के बाद गेर दानी गेट से ढाबा रोड़, सब्जी मंडी, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा, बक्शी बाजार होते हुए वापस सिंहपुरी पहुंचेगी।

सैकड़ो सालों से गेर के रूप में निकल रही परंपरा

पं. रूपम जोशी व पं. आदर्श जोशी ने बताया कि सिंहपुरी का इतिहास अति प्राचीन है। यहां की होली को विश्व में सबसे बड़ी होलीका मानी जाती है। यहां पर पांच अलग-अलग प्रकार से गेर निकालने की ऐतिहासिक मान्यता भी है। इसी परंपरा को प्राचीनता से लेकर वर्तमान तक सिंहपुरी क्षेत्र की गुरू मंडली आज भी अपनी शौर्य गाथा को परंपरा के रूप में सनातन धर्म को निरंतर प्रवाह मान रखते हुए निकालने का प्रयास कर रही है।

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