आज से विक्रम संवत नववर्ष 2081 की शुरुआत
मंगलवार वर्ष प्रतिपदा के अवसर पर सुबह शिप्रा नदी के रामघाट पर सूर्य को अर्घ्य देकर शहरवासियों ने हिंदू नव वर्ष का स्वागत किया। हर साल चैत्र प्रतिप्रदा तिथि से नया विक्रम संवत शुरू होता है। हिंदू कैलेंडर का नया वर्ष विक्रम संवत 2081 की शुरुआत पर चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से 9 दिनों तक देवी दुर्गा की उपासना का महापर्व चैत्र की नवरात्रि भी आरंभ हुआ। प्रति वर्ष गुड़ी पड़वा पर नव वर्ष मनाने की परम्परा उज्जैन में है। अल सुबह 6:30 बजे बंगाली महिलाओं ने शंख बजाकर शिप्रा नदी के रामघाट पर नव वर्ष की शुरुआत की। इस दौरान शहर के गणमान्य नागरिक पण्डे पुजारियों सहित गायत्री परिवार ने भी कलश का पूजन कर सूर्य को अर्घ्य दिया।
हिंदू कैलेंडर का नया वर्ष गुड़ी पड़वा को माना जाता है। इसी दिन से विक्रम संवत भी बदल जाता है। विक्रम संवत अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है। 9 अप्रैल 2024, मंगलवार से हिंदू कैलेंडर का नया वर्ष विक्रम संवत 2081 की शुरुआत हुई है। हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र और आखिरी महीना फाल्गुन होता है।
पंडित आनंद शंकर व्यास ने बताया की चैत्र शुक्ल एकम सबसे सर्वें परी है, गुड़ी पड़वा पर्व सृष्टि की रचना हुई थी यह सबसे बड़ा पर्व है भारत में विक्रमी संवत, जिसे उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने 2081 वर्ष पूर्व शुरू किया, जो चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू होता है। इसे सभी सनातन धर्म के मानने वाले नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। इसी दिन से नया पंचांग शुरु होता है। कई श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान करने भी पहुंचे थे।
नवसंवत्सर अभिनंदन समारोह समिति और अनुष्ठान मंडपम् ज्योतिष अकादमी द्वारा मंगलवार सुबह दत्त अखाड़ा, क्षिप्रा तट पर भारतीय नववर्ष का अभिनंदन किया। दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। वैदिक विद्वानों द्वारा मंगलाचरण साधु-संतों के सान्निध्य में मां शिप्रा का पंचामृत पूजन कर सौभाग्य सामग्री अर्पित की गई। सूर्य की प्रथम किरण को अर्घ्य देकर भगवान सूर्य का विशेष पूजन किया गया। महिलाओं द्वारा गुडी व ध्वजपूजन किया गया। इसके बाद वही ध्वज भगवान महाकाल के शिखर पर लगाया जाएगा।