लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले कुछ निर्माण की बाधाएं दूर हो गई है तो कुछ निर्माण अब भी अटके हुए हैं,
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले कुछ निर्माण की बाधाएं दूर हो गई है तो कुछ निर्माण अब भी अटके हुए हैं, जो कि अब चुनाव के बाद ही शुरू हो पाएंगे। बड़ी वजह विभागीय स्तर पर तैयारियों में खामियां होने के साथ में इंजीनियर्स व अफसरों की लेटलतीफी... जिसके चलते निर्माण कार्य समय पर शुरू नहीं हो पाए।
फ्रीगंज ब्रिज के समानांतर बनाए जाने वाले नए ब्रिज का निर्माण अब तक शुरू नहीं हो पाया। ब्रिज के लिए 92.76 करोड़ की राशि स्वीकृत पड़ी है और इसकी प्रशासकीय स्वीकृति 15 जुलाई 2023 को हो चुकी है, बावजूद इसके सेतु निगम अब तक इसका कार्य शुरू नहीं करवा पाया है। सेतु निगम के एसडीओ आरके कटारिया का कहना है कि ब्रिज का निर्माण किया जाना है, जिसका टेंडर अभी नहीं लगाया जा सका है। ऐसे ही हाल बड़नगर रोड पर धरमबड़ला से आगर रोड होते हुए पंचक्रोशी मार्ग को जोड़ते हुए एक्सप्रेस-वे की तर्ज पर बनाए जा रहे उज्जैन-गरोठ फोरलेन तक आउटर रिंग रोड के भी है।
पीडब्ल्यूडी व राजस्व विभाग के बीच में जमीन का निर्णय नहीं मिल पाने के चलते प्रोग्रेस नहीं हो पाई। यह आउटर रिंग रोड करीब 160 करोड़ की लागत से बनाया जाना है, जो कि करीब 40 किमी में होगा। इसके बनने से उज्जैन के आसपास में सर्कल फोरलेन आकार ले सकेगा और विकास शहर के चारों तरफ हो सकेगा। पीडब्ल्यूडी के सब इंजीनियर अनिलसिंह तोमर का कहना है कि राजस्व से सर्वे कार्य नहीं हो पाया है।
सिंहस्थ मेला क्षेत्र की सड़कों के भी ऐसे ही हाल हैं। इनमें टेंडर लगाया जाना तो दूर अब तक एस्टीमेट तक नहीं बन पाए हैं। राजस्व के अधिकारी जमीन के सर्वे कार्य में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर्स को सहयोग नहीं दे पाए। ऐसे में मेला क्षेत्र को कनेक्ट करने वाली सड़कों का कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया है। सिंहस्थ-2028 को दृष्टिगत रखकर सिंहस्थ बायपास को टू-लेन से फोरलेन में बदले जाने को लेकर भी अब तक निर्णय नहीं हो पाया है।