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टाटा प्रोजेक्ट में गड़बड़ियों से बड़ी सीख... अंडरग्राउंड सीवेज के नए प्रोजेक्ट में अब 8 पंपिंग स्टेशन बनेंगे


शहर के सीवेज को अंडरग्राउंड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक ले जाने के लिए 473 करोड़ रुपए का नया प्रोजेक्ट तैयार हुआ है। इसमें अमृत-1 से छूटे वार्ड और उन क्षेत्रों को भी शामिल किया है, जो ग्रामीण क्षेत्र हैं या फिर नगरीय सीमा में नहीं आ रहे हैं। कुल मिलाकर भविष्य के शहर के तौर पर प्रोजेक्ट को तैयार किया गया है। शहर बढ़ता है तो भी वह सीवेज के नेटवर्क में आ जाएगा। सबसे खास है कि अमृत-1 के टाटा प्रोजेक्ट की गड़बड़ियों से सीख लेकर इस प्रोजेक्ट में बड़ा बदलाव किया गया है, ताकि अमृत-2 का काम समय पर हो और कोई तकनीकी त्रुटि भी न रहे।

सबसे अहम है, अमृत-1 प्रोजेक्ट में जहां एक ही पंपिंग स्टेशन था। इसमें 8 पंपिंग स्टेशन होंगे। इसका फायदा यह होगा कि जहां टाटा को लाइन डालने के लिए कई जगहों पर 22 फीट से अधिक की खुदाई करना पड़ी, वह इस प्रोजेक्ट के दौरान नहीं करना पड़ेगी। इस प्रोजेक्ट में 8 फीट से ज्यादा की खुदाई नहीं होगी। इस प्रोजेक्ट को तीन फेज में बांटा गया है, ताकि आंवटन में दिक्कत होने पर भी काम होता जाएगा। जनता को उसका फायदा मिलता रहेगा। इस प्रोजेक्ट का टाटा जैसा हश्र न हो, जिसमें अभी भी हाउस होल्ड कनेक्शन सिर्फ सपना ही है

वहीं लाइन भी पूर्ण रूप से नहीं डल पाई है। दूसरा, अमृत-1 जहां सघन शहरी क्षेत्र में करना था। इसलिए कई तरह की दिक्कतें भी खड़ी हुई लेकिन नए प्रोजेक्ट में सघन क्षेत्र कम होगा, वहीं शहर का बाहरी इलाका ज्यादा होगा। इससे लाइन डालने में दिक्कतें भी कम ही आएगी। एमआईसी से स्वीकृति, भोपाल भेजा प्रोजेक्ट ^अमृत-2 में शहर के साथ ही उन क्षेत्रों को भी चुना है, जो शहरी क्षेत्र से करीब 5 से 7 किमी दूर है। इनमें देवास रोड पर अभिलाषा कॉलोनी तक, नागदा रोड पर हाटकेश्वरी सहित अन्य कॉलोनियों तक, मक्सी रोड की कॉलोनियां और आगर रोड पर आरडी गार्डी के आगे की कॉलोनियों को भी शामिल किया है। इस प्रोजेक्ट में उनकी गलतियों को सुधारने पर विशेष ध्यान दिया है, जिसमें टाटा के प्रोजेक्ट में हो रही है। -मुकेश टटवाल, महापौर

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